एकांत की इन रातों में
क्षितिजों के उस पार,
चाँद की रेखा के नीचे,
तारों की राहों में मैंने तुम्हें खोजा।
यक़ीन था कि तुम आओगे,
दिल की धड़कनों में वह विश्वास,
सपनों का गीत बनकर उठता रहा,
हर पल को संभाले रखा।
नयन में खिले हुए चित्र
तेरी मुस्कान से जगमगाते हैं,
हवा की लहरों में छुपकर
तेरा कोमल स्पर्श मिल जाता है।
चाहे संध्या के मेघ ढल जाएं,
चाहे रात का मौन उतर आए,
मेरे मन की उजली दुनिया में
तेरा प्यार का गीत सदा गूंजेगा।
जी आर कवियुर
19 08 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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