तेरी उम्मीद में जीता हूँ, दिल हरदम रोता है
तेरे जाने के ग़म में देखा, ये आलम रोता है
चाँद ढलते ही निगाहें, तेरा चेहरा ढूँढें
तारों की महफ़िल में हर इक परछाईं रोता है
रात तन्हा है, हवाओं में उदासी गहरी
ग़म का साया मेरी रूह पे बे-दम रोता है
इश्क़ की राह में हर ज़ख़्म कहानी कह दे
दिल की वीरान गली में यादेँ हरदम रोता है
आँसुओं से ही बनी है मेरी दुनिया “जी आर”
तेरे बिन इश्क़ का हर मौसम, हर दम रोता है
जी आर कवियुर
17 08 2025
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