Monday, August 4, 2025

नग़मे तेरे"

नग़मे तेरे"

मर के भी तुम याद आए — नग़मे तेरे,
हम जी के भी भूल न पाए — नग़मे तेरे।

बिछड़ों तो हर साज़ ने रोया — नग़मे तेरे,
दिल ने भी अश्कों में पिरोया — नग़मे तेरे।

हर मोड़ पर तेरी सदा सुनाई दी,
ख़ामोशियों में भी थे खोया — नग़मे तेरे।

रातों की तन्हाई में जब भी दिल टूटा,
आँखों ने चुपचाप ही बोया — नग़मे तेरे।

अब भी हवाओं से तेरा पैग़ाम आता है,
उनकी भी ज़ुबां पर है गोया — नग़मे तेरे।

'जी आर' ने बस तुझको ही देखा हर मंज़र में,
हर रंग में उसको ही सोया — नग़मे तेरे।

जी आर कवियुर 
04 08 2025



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