है मेरा इश्क़ अनोखा-सा,
दिल-दरिया में लहर-सा।
सागर शोर मचाए है रातों में,
दिल तन्हा गुनगुनाए ग़ज़ल-सा।
तेरी यादों की बारिश में भीगा हूँ,
हर आहट लगे मुझे सवाल-सा।
तेरे जाने की ख़ामोशी कहती है,
हर पल की धड़कन बवाल-सा।
चाँदनी रात में भी तू ही दिखे,
हर मंज़र लगे मुझे कमाल-सा।
‘जी आर’ ने जो लिखा है तन्हाई में,
वो भी तेरा ही है ख़याल-सा।
जी आर कवियुर
04 08 2025
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