Monday, August 4, 2025

ग़ज़ल-सी तन्हाई

ग़ज़ल-सी तन्हाई


है मेरा इश्क़ अनोखा-सा,
दिल-दरिया में लहर-सा।

सागर शोर मचाए है रातों में,
दिल तन्हा गुनगुनाए ग़ज़ल-सा।

तेरी यादों की बारिश में भीगा हूँ,
हर आहट लगे मुझे सवाल-सा।

तेरे जाने की ख़ामोशी कहती है,
हर पल की धड़कन बवाल-सा।

चाँदनी रात में भी तू ही दिखे,
हर मंज़र लगे मुझे कमाल-सा।

‘जी आर’ ने जो लिखा है तन्हाई में,
वो भी तेरा ही है ख़याल-सा।

 जी आर कवियुर 
04 08 2025

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