Monday, August 25, 2025

अकेले विचार – 107

अकेले विचार – 107

कल की योजना जब आँखों में बसती,
दिल की उमंगें फिर नई राह रचती।
रास्ते बदलें, दिशा भी भटके,
सूरज की किरणें उम्मीदें चमकें।

आस्था जगेगी, मन होगा ऊँचा,
रात ढले तो आएगा पूरब सांचा।
मुस्कान लाएगी ज्ञान का उजाला,
शक्ति बहेगी जैसे नदियों का प्याला।

कहानियाँ गूंजें, तारे दमकें,
भविष्य के द्वार सबके लिए खुलें।
यात्रा बढ़ेगी दीप लिए साथ,
प्रेम रहेगा जीवन का पथप्रदात।

जी आर कवियुर 
24 08 2025
( कनाडा, टोरंटो)

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