मुस्कान के पीछे छिपे हैं राज़,
मन के भीतर उठते हैं साज़।
चमकते होंठ कहें न कहानी,
दिन गुज़रते फिर भी अनजानी।
हल्की हंसी ढक दे अंधियारा,
दिल को चाहिए उजियारा।
थके कदम चलते रहते,
हौसले से सपने सँवरते।
वह वक्र बताता ऊँचाई,
आँसू सूखें, मिले रिहाई।
शक्ति और आशा का प्रतीक,
हर चेहरे पर चमके संगीत।
जी आर कवियुर
19 08 2025
( कनाडा, टोरंटो)
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