Friday, August 29, 2025

"तेरे प्यार के अफ़साने" ( ग़ज़ल )

"तेरे प्यार के अफ़साने" ( ग़ज़ल )

निगाहें ढूंढ रही हैं तेरे प्यार के अफ़साने,
लबों पे आ ही गए हैं तेरे प्यार के अफ़साने।

ग़मों की धूप में दिल को मिली तेरी पनाहें,
उम्मीद गा रही हैं तेरे प्यार के अफ़साने।

हवाओं में भी तेरी महक का सिलसिला है,
फ़िज़ाएँ दोहरा रही हैं तेरे प्यार के अफ़साने।

तड़प के रात गुज़ारी, दुआओं से सँवारा,
सितारे सुन रहे हैं तेरे प्यार के अफ़साने।

"जी आर" ने भी लिखे हैं दिल के सच्चे तराने,
ग़ज़ल में ढल गए हैं तेरे प्यार के अफ़साने।

जी आर कवियुर 
29 08 2025
(कनाडा , टोरंटो)


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