सूर्य की किरणें फूलों पर पड़कर मुस्कुरा रही हैं,
नदियाँ चाँदी जैसी चमक बिखेर रही हैं।
आभूषण हाथों में चमकते हुए झिलमिला रहे हैं,
पत्तियाँ सुनहरे रंग में धीरे-धीरे झूम रही हैं।
नीले आकाश के साथ मिलकर नृत्य कर रही हैं,
फूल हल्की हवा में धीरे-धीरे उड़ रहे हैं।
गर्मी की रौशनी धीरे-धीरे कमरे में फैल रही है,
तारे शाम के आकाश में मुस्कुरा रहे हैं।
सूक्ष्म तंतु में धीरे-धीरे कहानियाँ गुनगुना रही हैं,
रत्न रास्ता दिखाते हुए चमक रहे हैं।
प्रकृति सौम्य सुंदरता में लय पा रही है,
हर कोने में सरल और सुंदर रूप प्रकट हो रहा है।
जी आर कवियुर
22 08 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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