Saturday, May 31, 2025

हर लम्हे ( ग़ज़ल)

हर लम्हे ( ग़ज़ल)

कैसे भूल पाऊँ मैं वो बीते हुए लम्हे
आज भी तरसता है दिल उनके लिए हर लम्हे

वो हँसी जो छुपी थी कभी ग़म के हर लम्हे
अब भी आके रुला जाती है दम के हर लम्हे

तेरी यादों की खुशबू जो महके नरम से
छू जाती है रूह को बहकाए ये हर लम्हे

जो कहा था कभी तुमने सादगी से प्यार में
गूंजते हैं वही शब्द अब भी ज्यों हर लम्हे

हमने चाहा था बाँधना तुझे अपने सरगम से
बिखर गए ख्वाब सारे टूटे सुर के हर लम्हे

‘जी आर’ को अब भी है तेरा ही इंतज़ार हर लम्हे
तेरे बिना अधूरी सी लगती है उमर हर लम्हे

जी आर कवियुर 
०१ ०६ २०२५

Thursday, May 29, 2025

एकांत विचार – 57

 एकांत विचार – 57


हर कर्म बनता है एक बीज,

चुपचाप बोया गया सही बीज।

कुछ खिलते हैं सुबह की रौशनी में,

कुछ चुभते हैं काली रातों में।


दया बढ़ती है कोमल देखभाल से,

क्रोध सूखा देता है ज़मीन।

सच चमकता है रंगों के साथ,

झूठ मिट जाता है बिना शोर के।


हर कदम बनाता है बग़ीचा,

जड़ें फैलती हैं धीरे-धीरे।

दिल से चुनो हर राह को,

हर क्रिया में छुपा है निर्णय।


जी आर कवियुर 

३० ०५ २०२५

Wednesday, May 28, 2025

यात्रा ज़िंदगी बन जाए!

यात्रा ज़िंदगी बन जाए!


यात्रा पे निकला ये दिल उड़ चला,
रास्तों में खुलते हैं ख्वाब नया।
साए पीछे भागे कहीं,
नई नजरों में दिल भी भीग चला।


हमसफर बनके चलो साथ में,
इन राहों में कोई धोखा नहीं।
आँखों के आँसू जैसे सपने,
तुमसे मिलना ही तो चाहत सही।


ठंडी हवा जब छूने लगे,
आधी रात गुनगुनाने लगे।
नदियाँ, पहाड़ मिलकर रचें,
यात्रा संग एक नयी कविता कहें।


हमसफर बनके चलो साथ में,
इन राहों में कोई धोखा नहीं।
आँखों के आँसू जैसे सपने,
तुमसे मिलना ही तो चाहत सही।


यादें और हँसी भी साथ चलें,
धड़कनों में कोई गीत सा बहे।
अनदेखे शहर पहचान देंगे,
लौटने तक ये सफ़र ख़ुशियों से भरे।

नवभारत की ओर चल पड़ा पैग़ाम,
पेड़ों की छाँव, इंद्रधनुष का सलाम।
दो रंगों का मिलन यहाँ,
हमारी भी हो कोई यात्रा वहां।


हमसफर बनके चलो साथ में,
इन राहों में कोई धोखा नहीं।
आँखों के आँसू जैसे सपने,
तुमसे मिलना ही तो चाहत सही।


हवा के संग चलें मुस्काते,
इस यात्रा में बार-बार गाते।
नए गीत बनते जाएँ हर मोड़,
यादों में ये पल सदा मुस्कुराते।

जी आर कवियुर 
२९ ०५ २०२५

भावों से भरा समुद्र

भावों से भरा समुद्र

समुद्र गहरा है, रंग है नीला,
जैसे दिल में छुपा हर एक पीड़ा।
लहरें आती हैं, फिर लौट जाती,
कुछ अनकही बातें संग ले जाती।

हर बूँद में आंसुओं का अंश,
दर्द छुपा है उसका हर स्पर्श।
प्रेम की पुकार वो करता रहा,
उसका इंतज़ार भी चलता रहा।

किनारे से करता है संवाद,
पर मिलन हो पाए ये भी न संभव।
फिर भी हर लहर कहती है ये बात—
"तू मेरा अक्स है, चल आ, रो लें साथ।"

जी आर कवियुर 
२८ ०५ २०२५

जंगल की यादें

जंगल की यादें

पुराने ज़माने में जंगल था घर,
हर पेड़, हर झरना था सुंदर सफर।
पंछी गाते थे, हवा मुस्काती थी,
छांव में मिलती थी ज़िंदगी सस्ती।

कच्चे रास्ते, खुला आसमान,
हर कोना था जैसे भगवान का स्थान।
अब इंसान ने बदल डाली राहें,
काट दिए पेड़, खो दीं चाहें।

पर जंगल अब भी करता है इंतज़ार,
खामोशी में कहता है प्यार।
अगर लौटे इंसान फिर एक बार,
मिलेगा वहां सुकून अपार।

जी आर कवियुर 
२८ ०५ २०२५

जिंदगी की बहती नदी

जिंदगी की बहती नदी 

नदी धीरे-धीरे बहती है,
पहाड़ों और खेतों से गुजरती है।
जैसे बच्चा जन्म लेता है,
वैसे ही यह धरती को छूती है।

रास्ते में पत्थर आएं तो क्या,
हर मोड़ पर बढ़ती रहती है।
घुमावों में भी यह न रुके,
अपने सफर को खुद ही सीखे।

सपनों को लेकर चलती जाती,
हर दिल से मिलने की चाह में।
आखिर में सागर से जा मिलती,
जैसे जीवन शांति को पाता।

जी आर कवियुर 
२८ ०५ २०२५

एकांत विचार – 56

एकांत विचार – 56


जब ज्ञान की रोशनी से मन एक हो जाते हैं,
तो करुणा खिलती है, शुद्ध और चमकदार।

सम्मान से जुड़े हुए नेक दिलों के साथ,
सत्य और सद्गुण सीमाएं पार कर बढ़ते हैं।

जब किसी रत्न को सोने के धागे में पिरोया जाए,
तो वह पहले से अधिक चमकने लगता है।

जब अच्छे और शांत आत्माओं के साथ चलें,
तो शांति और खुशी पंख लगाकर उड़ती है।

उच्च विचारों और सरल राहों में,
सौंदर्य सच्चे दिनों में चमकता है।

ऐसे साथियों के साथ जो ऊँचाई पर ले जाएँ,
तो आँसू भी मुस्कराना सीख सकते हैं।

जी आर कवियुर 
२९ ०५ २०२५

यात्रा ज़िंदगी बन जाए!

यात्रा ज़िंदगी बन जाए!


यात्रा पे निकला ये दिल उड़ चला,
रास्तों में खुलते हैं ख्वाब नया।
साए पीछे भागे कहीं,
नई नजरों में दिल भी भीग चला।


हमसफर बनके चलो साथ में,
इन राहों में कोई धोखा नहीं।
आँखों के आँसू जैसे सपने,
तुमसे मिलना ही तो चाहत सही।


ठंडी हवा जब छूने लगे,
आधी रात गुनगुनाने लगे।
नदियाँ, पहाड़ मिलकर रचें,
यात्रा संग एक नयी कविता कहें।


हमसफर बनके चलो साथ में,
इन राहों में कोई धोखा नहीं।
आँखों के आँसू जैसे सपने,
तुमसे मिलना ही तो चाहत सही।


यादें और हँसी भी साथ चलें,
धड़कनों में कोई गीत सा बहे।
अनदेखे शहर पहचान देंगे,
लौटने तक ये सफ़र ख़ुशियों से भरे।

नवभारत की ओर चल पड़ा पैग़ाम,
पेड़ों की छाँव, इंद्रधनुष का सलाम।
दो रंगों का मिलन यहाँ,
हमारी भी हो कोई यात्रा वहां।


हमसफर बनके चलो साथ में,
इन राहों में कोई धोखा नहीं।
आँखों के आँसू जैसे सपने,
तुमसे मिलना ही तो चाहत सही।


हवा के संग चलें मुस्काते,
इस यात्रा में बार-बार गाते।
नए गीत बनते जाएँ हर मोड़,
यादों में ये पल सदा मुस्कुराते।

जी आर कवियुर 
२९ ०५ २०२५

ग़ज़ल: तेरे बिना रातें

ग़ज़ल: तेरे बिना रातें

तेरे बिना ये रात बहुत सूनी लगती है
हर शय में तेरी याद ही बसती लगती है

खामोश हैं तारे भी, चांद भी है गुमसुम
इस दिल की तन्हाई कहीं सच्ची लगती है

चलते हैं कहीं साए तेरे नाम के जैसे
हर राह मुझे फिर से तेरी लगती है

आँखों से छलकते हैं कुछ ख्वाब अधूरे से
हर बात अधूरी सी ही लगती लगती है 

आवाज़ तेरी जब भी हवा लाती है सनम
सीने में दबी आग भी जलती लगती है

'जी आर' तेरा नाम ही जपता है हर पल
दुनिया से ये दीवानी भी कटती लगती है

जी आर कवियूर 
२८ ० ५ २०२५

Monday, May 26, 2025

"हर राह पे तेरा नाम लिखेंगे" (ग़ज़ल)

"हर राह पे तेरा नाम लिखेंगे" (ग़ज़ल)

तेरे लिए दिल में चुपचाप दीप जलाएंगे हम,
हर राह पर तेरा नाम बस सजाएंगे हम।

वादों में कभी भी न होगा कोई छल हम,
हर मोड़ पर वफ़ाओं से पेश आएंगे हम।

तू खामोश भी रहे तो जान लेंगे हम,
तेरी धड़कनों में अपना नाम पाएंगे हम।

तेरे बिना ये मौसम अधूरे लगेंगे हम,
हर पल तुझे याद कर सजदों में झुकेंगे हम।

जो कहा नहीं वो भी तुझ तक कहेंगे हम,
इक रोज़ तुझे अपना बना ही लेंगे हम।

'जी आर' ने दिल की हर दास्ताँ तुझसे जोड़ दी,
अब तुझसे जुदा हो पाना नहीं चाहेंगे हम।

जी आर कवियुर 
२६ ०५ २०२५

एकांत विचार – 55

एकांत विचार – 55


ऊँचे पहाड़ों में नहीं, गहरे समंदरों में नहीं,
हम असली रूप में रहते हैं शांत सोचों में कहीं।
एक प्यारी मुस्कान, एक स्नेहभरी नज़र,
जहाँ होता है प्यार, वहाँ नाचते हैं दिल हर पल।

जब हम उम्मीदें और सपने मिलकर बाँटते हैं,
शांत करुणा में आत्माएँ धीरे-धीरे जुड़ते हैं।
सितारों से आगे, आसमानों के पार,
प्यार की खूबसूरती रहती है अमर और अपार।

किसी की दुआ में हम अपना स्थान पाते हैं,
ममता और गर्मजोशी में खुद को पाते हैं।
दिलों में जीना, रौशनी बन जाना—
यही है सबसे पवित्र और सुंदर जहाँ।

जी आर कवियुर 
२६ ०५ २०२५

Saturday, May 24, 2025

पुराने आंगन, नई दीवारें

पुराने आंगन, नई दीवारें 

कभी हम रहते थे रिश्तेदारों संग,
प्यार और अपनापन था हर रंग।
एक ही छत के नीचे बिताते दिन,
दादी की कहानियाँ, दादाजी की मुस्कानें – 
जैसे त्योहारों का उजाला हर क्षण।

दरवाज़े पर बैठा था कुत्ता,
आग के पास सोती थी बिल्ली,
हंसी और आँसू कभी थकते नहीं थे।
मंदिर की ध्वनि, फूलों की दुकान,
चूड़ियाँ, सिंदूर और मेले की शान –
क्या अद्भुत दिन थे वो, जान।

तब हम प्यार करते थे,
बिना जाने कि प्यार क्या है।
झगड़ों में, आम बाँटते समय,
"मैं तुमसे प्यार करता हूँ" नहीं कहते थे,
पर आँखों से दिल की बात होती थी।

फिर आया टीवी, और चुप्पी बढ़ गई,
पहचाने चेहरे मोबाइल की चमक में खो गए।
साथ बैठे भी जैसे दूर थे हम,
धड़कते दिल की जगह 
स्क्रीन बन गई जीवन का ग़म।

अब प्यार के लिए ऐप्स हैं,
शब्द जल्दी से कहे जाते हैं।
पर सच्चा रिश्ता मिलना मुश्किल है।
जब प्यार जुदाई बन जाए,
तो दिल बूढ़ा हो जाता है जवानी में भी।

अब आम के पेड़ पर झूले नहीं हैं,
सिर्फ़ स्क्रीन है सामने कहीं।
अब रहते हैं हम फ्लैट्स में, ऊँचे और तंग,
दीवारों के पीछे, जैसे कोई बंद जीवन संग।


जी. आर. कवियूर
24-05-2025

एकांत विचार – 54

एकांत विचार – 54

पाँव के नीचे कांटे ने सावधानी से चलना सिखाया,
दिल की पीड़ा ने सहने की ताकत दिलाया।

खामोश, कठोर ज़मीन पर क़दम हो गए हल्के,
दुख ने जब हिम्मत तराशी, रेत जैसे अडिग बन गए।

नीचे की चुभन ने संतुलन और दया सिखाई,
अंदर के ज़ख्मों ने मज़बूती की पहचान दिलाई।

पत्थरों की राह ने रोशनी की दिशा दिखाई,
अंदर की छायाएँ धीरे-धीरे उजाले तक लाई।

बाहरी पीड़ा समय के साथ कम हो गई,
भीतर की वेदना ने सोच और ताल दी।

दर्द से सीखे पाठों ने ऊँचाई तक पहुँचाया,
चुप आँसुओं से आकाश को छू लिया।

जी आर कवियुर 
२५ ०५ २०२५

क्या तुम फिर कभी नहीं लौटोगे?

रमज़ान की ठंडी हवा में,
यादों की परतों के बीच,
बिजली की छोटी चमक में,

मेरे दिल की खिड़की खुली,
मीठे दर्द जाग उठे,
याद करते हुए कि तुम वापस नहीं आओगे,
एक अकेरी, बेकरार रात।

हमारे गाए गीत हवा में बिखर गए,
जैसे धीरे-धीरे गायब होता साया,
हवा में बदलते बादलों की छाँव,
आँखें बारिश से भर गईं,
तुम मेरी नसों में बहकर फैल गए।

फूलों की खुशबू में हाथ थामे,
एक भूली हुई प्रेम याद,
एक भी संदेश दिए बिना,
क्या तुम फिर कभी नहीं लौटोगे?

जी आर कवियुर 
२४ ०५ २०२५

सिंदूर

सिंदूर

सिंदूर की रेखा और संध्या दीप,
सपनों और अर्थों में मैंने उसे खोजा।
ललाट पर कुमकुम की सजावट,
आशा के सूर्योदय की तरह मेरा परिचय बनी।

पहलगाम की हिमधुंध में विलीन होकर,
प्रेम की मुस्कानें आंसुओं में बह गईं, चेतना खो बैठी।
आतंक की अग्नि में पक्षी भी रो पड़े,
सपने टूटे, गालों से मुस्कान मिट गई।

क्षति की छाया में वह फीकी पड़ गई,
पीड़ा की हवा में उड़ गया वह रंग।
जब सोचती हूँ कि सूर्योदय अब नहीं,
रक्तरंजित एक बिंदु सिंदूर, 
देश के लिए बन गया सत्य।

जी आर कवियुर 
२४ ०५ २०२५

एकांत विचार – 53

एकांत विचार – 53

किसी चेहरे पर मुस्कान खिलते देखना,
जब कारण हम हों, समय या जगह की परवाह किए बिना—
एक ऐसी गहराई वाली खुशी, जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता,

दया से दिल रोशन हो जाता है।

न धन चाहिए, न नाम या घमंड,
सिर्फ वो कोमल प्यार जो हमारे भीतर बसता है।

जब कोई अनजानी हथेली आँसू पोंछती है,
तभी ममता के बीज बोए जाते हैं।

एक मौन कार्य, एक छोटी सी दयालुता,
किसी भी कोने में जीवन को रोशन कर सकती है।

अगर इससे किसी आत्मा को राहत या संबल मिले,
तो वही है इंसानियत का सबसे ऊँचा रास्ता।

जी आर कवियुर 
२५ ०५ २०२५

Friday, May 23, 2025

एक मंदिर

एक मंदिर 

जन्म की घड़ी में
एक चेहरा झलक पड़ा जैसे रौशनी पहली बार मिली हो।
शब्दों से पहले
एक छुअन ने मुझे जीवन की गोद में रखा।

हथेलियाँ — जैसे कोई शांत तीर्थ,
स्वर — जैसे सुबह की पहली प्रार्थना।

मुस्कान के पीछे छुपा दर्द,
सब कुछ लुटा दिया, कभी कुछ माँगा नहीं।

जब समय सख़्त हुआ और दुनिया अजनबी,
एक मौन आंचल ने मुझे ढँक लिया।

हर गिरावट में साथ चलती परछाईं,
हर सफलता के पीछे एक अदृश्य साहस —
एक दीप जो कभी न बुझे — माँ।

जी आर कवियुर 
२३ ०५ २०२५

एक प्रकाश, एक संसार (एक सार्वभौमिक प्रार्थना)

एक प्रकाश, एक संसार 
(एक सार्वभौमिक प्रार्थना)

तारे चुपचाप शांति की बात कहें,
नदियाँ सपनों को सच्चाई तक बहाएँ।
पहाड़ों में गूंजे दया की धुन,
फूल हर जगह मुस्काएँ।

हाथ अलग हों, दिल में हो प्यार,
नज़रें अलग हों, आत्मा एक आधार।
रास्ते घूमे ज़मीन और पानी में,
प्यार ही है अंतिम चाबी।

कोई मंदिर दूर नहीं, कोई नाम बड़ा नहीं,
सब प्रार्थनाएँ उठें एक ही लहर में।
हर धर्म, हर पवित्र सुर में,
जहाँ आशा हो, वहीं एक उजाला चमके।

जी आर कवियुर 
२३ ०५ २०२५

पानी के बीच से रास्ता (भक्ती गीत )

पानी के बीच से रास्ता

जब मुसीबतें तूफ़ानी ज्वार की तरह उठती हैं,
वह आपके साथ चलता है, आपके बगल में।
वह हर पहाड़ को नहीं हिला सकता,
लेकिन रास्ते ऐसे दिखाई देते हैं जहाँ कोई साबित नहीं कर सकता।

समुद्र खड़ा हो सकता है, इतना चौड़ा, इतना विशाल,
फिर भी लहरों के बीच से, आप आखिरकार चलेंगे।
देरी खामोश दर्द की तरह लग सकती है,
लेकिन विश्वास सुबह की बारिश की तरह खिलेगा।

अंधेरी रात में एक शांत ताकत,
मार्गदर्शक प्रकाश की अचानक चिंगारी।
वह शायद आपके द्वारा देखी जाने वाली दुनिया को न बदले,
लेकिन आपकी परीक्षा में, आपको आज़ाद कर देता है।

जी आर कवियुर 
२३ ०५ २०२५

एकांत विचार – 52

एकांत विचार – 52

खामोश रात में फुसफुसाहटें उठती हैं,
शांत भय से छायाएँ हिलती हैं।
जब संदेह शुरू होता है तो शांति छिप जाती है,
अंदर ही अंदर लड़ाई छिड़ जाती है।

खामोश तूफान, कोई नहीं देख सकता,
स्मृति की चाबी से बनी जंजीरें।
जहाँ चिंताएँ बढ़ती हैं, वहाँ खुशी फीकी पड़ जाती है,
आंतरिक प्रवाह में शांति खो जाती है।

सत्य दर्पण की निगाह में झुक जाता है,
आशा मानसिक धुंध में मंद पड़ जाती है।
स्वतंत्रता भूलभुलैया से परे होती है,
जब शांति मन के अंधेरे को रोशन करती है
.
जी आर कवियुर 
२३ ०५ २०२५

एकांत विचार – 51

एकांत विचार – 51

कुछ लोग हमें भूल जाते हैं,
जब ज़िंदगी की भीड़ में खो जाते हैं।
पर कुछ ऐसे भी होते हैं,
जो बिना कहे हमें याद करते हैं।

उनके लिए हमें समय निकालना चाहिए,
ये फ़र्ज़ नहीं, बस एक सच्चा एहसास है।
उनकी यादें बिना आवाज़ के आती हैं,
जैसे खामोशी में बहती हुई हवा।

हम उनके लिए एक रौशनी संभालते हैं,
अंधेरों में चमकने वाली एक लौ की तरह।
जहाँ दिल रहते हैं, वहीं समय देना चाहिए,
क्योंकि वहीं जुड़ाव सच्चा होता है।

जी आर कवियुर 
२३ ०५ २०२५

Thursday, May 22, 2025

भाषा की यात्रा"

"भाषा की यात्रा"

प्राचीन समय में
मनुष्य ने इशारों से
अपने विचार साझा किए।
जब शब्दों ने जन्म लिया,
तब मन की राहें खुल गईं।

मातृभाषा मलयालम मुझे अत्यंत प्रिय है,
लेकिन जीवन को प्रिय है
विभिन्न भाषाओं की सुंदरता —
भारत में हैं बाईस आधिकारिक भाषाएं!

“हर दो मील पर पानी का स्वाद बदलता है,
हर चार मील पर भाषा भी बदल जाती है”—
इतनी गहराई है विचारों की
इस भाषाओं से भरे भारत में, एक महान ग्रंथ जैसा देश!

भाषा के लिए संघर्ष हुए,
लेकिन अंत में मिला एकता का संदेश —
"विविधता में एकता!"
गणित से लेकर संगीत तक,
भाषाओं ने मनुष्य को ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

जब भी हम नए दरवाज़े खोलते हैं,
नई खोजों के साथ-साथ
नई भाषाएं भी चलती हैं।

जी आर कवियुर 
२३ ०४ २०२५

Wednesday, May 21, 2025

एकांत विचार – 49

एकांत विचार – 49

प्रयास उन दरवाज़ों को खोलता है, 
जो कभी बंद प्रतीत होते थे
ध्यान केंद्रित करने से बेचैन मन में स्पष्टता आती है
सचेत हर पल, शांत शक्ति को जोड़ता है
दृढ़ संकल्प हमें गढ़ता है कि हम क्या बनते हैं

एकाग्रता समझ को गहराई देती है
शांति स्थिर प्रगति का आमंत्रण देती है
गलतियाँ मौन शिक्षक बन जाती हैं
अनुशासन भटकती इच्छाओं को थाम लेता है

अनिश्चितता में धैर्य अडिग रहता है
विकास दृश्य से परे होता है
आंतरिक संकल्प अदृश्य पहाड़ों को भी हिला देता है
सफलता उन्हें मिलती है, जो निरंतर चलते रहते हैं

जी आर कवियुर 
२१ ०५ २०२५

एकांत विचार – 50 सूर्य के लिए

एकांत विचार – 50

सूर्य के लिए


बिना जाने चल पड़ा एक राह पर,
तेरी मौजूदगी लाई मीठी उम्मीद,
मन में बसी एक शांत सी छाया,
पल तेरे प्रकाश से जगमगाए।

शब्दों से तुझे कह न सका,
मौन में ही उलझा रह गया,
देखे बिना भी तुझको तरसा,
हवा की तरह तेरा स्पर्श महसूस किया।

तेरी नजरों ने राह दिखा दी,
आने वाले कल को उजाला दिया,
साहस तूने चुपचाप बांटा,
आशीर्वाद है तू, राह दिखाने वाला सूरज।

जी आर कवियुर 
२२ ०५ २०२५


Tuesday, May 20, 2025

शिक्षक से प्रश्न"

शिक्षक से प्रश्न"

यदि सूर्य शिक्षक है
 इस संसार में शासक और प्रजा का स्थान कहाँ है?
जब प्रकाश फैलाने वाला शिष्य बन जाता है
नीले आकाश ने कैसे पाठ गाया?

विचारों को फैलाने से न्याय होता है
पक्षी चट्टानों पर पाठ लिखते हैं
मधु से भरे फूल भक्ति का आह्वान करते हैं
नदियाँ पार करना, सत्य की खोज करना

जब बादल छंट जायेंगे तो तुम्हें दीपक दिखाई देगा।
जब लय बढ़ती है तो जन्म पारदर्शी हो जाता है।
आवाजें चुपचाप आत्मा से जुड़ जाती हैं।
ज्ञान की अग्नि हृदय को प्रकाशित करती है।

जी.आर. कवियूर
21 05 2025.

Monday, May 19, 2025

सैनिक का संगीत है न्यारा। (गीत)

सैनिक का संगीत है न्यारा। (गीत)

ओ पिया, कोयलिया से पूछिए ज़रा,
कैसी बयार में सुरों की सदा।
सीने पे तिरंगा लहराए जो,
दिल से निकली वह रागनी क्या।

मरुधरा में भी गीत उगाए,
बर्फ़ीली रातों में स्वर सजाए।
ना तानसेन, ना बैजू बावर,
ऐसा सुर किसी ने ना गाया।

धरती की छाया, नभ की पुकार,
हर धड़कन में वीरों का प्यार।
जो बोले वो सच्चा तराना,
सैनिक का संगीत है न्यारा।

जी आर कवियुर 
२० ०५ २०२५

एकांत विचार – 48

एकांत विचार – 48

प्रकाश के लिए दीपक ज़रूरी नहीं,
दिल भी अपने आप रोशनी करता है।
दया भरी एक सोच रास्ता दिखा देती है,
खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है।

मुस्कान अंधेरे आसमान को रोशन कर देती है,
सच आँखों में साफ़ नज़र आता है।
आशा अंधेरी रातों में राह बनाती है,
मन की शांति एक दीप जलाती है।

जब डर मिटता है, साहस बढ़ता है,
हर सुबह खुशी लेकर आती है।
अंदर की आग आत्मा को राह दिखाती है,
मधुर प्रकाश से जीवन को पूरा बनाती है।

जी आर कवियुर 
१९ ०५ २०२५

तेरी परछाईं साथ रही" (ग़ज़ल)

 तेरी परछाईं साथ रही" (ग़ज़ल)


तुझसे मिलने की ख्वाहिश रही

तेरी यादों की परछाई साथ रही


हर सदा में तेरा नाम सुनाई दिया

चुप थी दुनिया, पर तू गुनगुनाई रही


चाँदनी रातें भी तुझसे शिकायत करें

क्यूँ तेरी आँखों में वो रौशनी नहीं रही


तेरे बिना हर खुशी लगती अधूरी सी

तेरे साथ हर तक़लीफ़ भी सुकून बनी रही


अब तो लम्हे भी तेरी तस्वीर से डरते हैं

‘जी आर’ की हर शायरी में तू ही बसी रही


जी आर कवि

यूर 

१६ ० ५ २०२५


एकांत विचार – 47

 एकांत विचार – 47


हम जो शब्द बोलते हैं

हम हर दिन सावधानी से अपना भोजन चुनते हैं,

और हर तरह से सोच-समझकर कपड़े पहनते हैं।

फिर भी हम जो कहते हैं, हम अक्सर चूक जाते हैं,

एक लापरवाह शब्द, एक पल की फुफकार।


अंदर से, हमारी आवाज़ उठती है,

बिना मापे विचार, कोई शांति नहीं, कोई दिखावा नहीं।

जो कुछ भी बोला जाता है उसे मिटाया नहीं जा सकता,

कुछ दिलों को तोड़कर, गहराई से छूकर छोड़ जाते हैं।


इसलिए शब्दों को उड़ने देने से पहले रुकें,

वे वापस आकर आपको रुला सकते हैं।

दयालु बनें, कोमल बनें, इस पर गहराई से सोचें—

जो आपके होठों से निकलता है, वह सच को आकार दे सकता है।


जी आर कवियुर 

१९ ०५ २०२४


एकांत विचार – 46

 एकांत विचार – 46


जब शब्द अग्नि बन जाएं, छूना भी चुभन दे

परछाई में छिपे हों, फिर भी चिंगारी उड़ती है

लाल रंग की शांति में भी, दिल चुपचाप टूटता है

पंख जल जाएं अगर, राख बनकर उड़ते हैं


विचार दूर जाएं तो, समय रुक जाता है

प्यार से कहा गया भी, तलवार बन सकता है

मजाक में बोला गया, आग का रास्ता बन जाए

जो अनदेखा हो, वो भी दर्द दे सकता है


पाठक रोएं तो, लेखक भी कांपता है

कभी-कभी चुप्पी भी रास्ता दिखाती है

एक शब्द हज़ार कहानियाँ कह सकता है

कर्म से परे भी, बातों में ताकत होती है।


जी आर कवियुर 

१८ ०५ २०२५


Sunday, May 18, 2025

सरहद की छांव में"

सरहद की छांव में"

चलते हैं वीर बिना थके, तूफ़ानों से खेलते हैं,
धरती माँ की गोद बचाने, छावनी में ढलते हैं।
नींद नहीं है पलकों में, हर जागरण है बलिदान,
हथियारों की लोरी गाती, उनकी हर एक पहचान।

धूप हो या बर्फ़ की चादर, उनका संकल्प अडिग,
हर सर्द रात में जलती है, राष्ट्रप्रेम की एक दीपक।
माँ के आँचल से दूर रहकर, देश को देते स्नेह,
हर पग पर उनका नमन है, हर साँस में है गेह।

वो हैं प्रहरी स्वाभिमान के, सम्मान का है स्वर,
उनके कारण महकता है, हर कोना, हर प्रहर।
हम नमन करें उन रक्षकों को, जिनसे जीवन है रोशन,
जय हिन्द कहे हर धड़कन, उनका गौरव हो अमर।

जी आर कवियुर 
१८ ०५ २०२५

Friday, May 16, 2025

एकांत विचार – 45

एकांत विचार – 45

इंतज़ार की राह में एक पल ठहरता है
अनुभव धीरे से छू जाते हैं
सांझ की किरणें जब फैलने लगती हैं
हमारे सपने उजाले की तरह उठते हैं

कभी-कभी मौक़ा खुद खोलना पड़ता है
दृढ़ता जब राह बनती है, आशा जल उठती है
एक याद में मिलन सामने आता है
दिल से एक नई करुणा खिलती है

कई बार माहौल चुप रहता है
आवाज़ ही प्रेरणा बन जाती है
सच्चे यक़ीन से सफर जाग उठता है
वक़्त बदलते ही सफलता खुद पास आती है

जी आर कवियुर 
१७ ०५ २०२५

एकांत विचार – 44

एकांत विचार – 44

नीचे गिरने पर जो निशान बने
वो हमारी मजबूती की बात कहते हैं
दुख की राहों में जब हम चले
कुछ हाथ कभी साथ नहीं छोड़ते

हर जीत में रौशनी नहीं होती
कभी हार भी छांव देती है
गिरने से ही सबक मिलते हैं
जो हमें फिर ऊपर ले जाते हैं

मन की शक्ति ही सबसे बड़ी होती है
उम्मीद साथ चलती रहती है
दिल को हिम्मत वही देती है
गिरने के बाद अच्छे दिन जरूर आते हैं


जी आर कवियुर 
१७ ०५ २०२५

Thursday, May 15, 2025

तु कहा हो?!!

 तु कहा हो?!!


कविता कितनी पुरानी होगी?

क्या वो समय था जब जंगल का शिकारी तीर चलाता था?

या अंधेरी गुफाओं से वो आंसू बनकर निकली थी?


क्या वो खारी पीड़ा से भरी थी, या शहद जैसी मीठी?

क्या वो तितलियों जैसी सुंदर थी,

या जैसे ढोलक और मधुमक्खियाँ मिलकर गा रही हों,

पहले प्यार जैसी कोई अनुभूति?


कोई नहीं जानता...

कविता बस अपने ‘क’ और ‘विता’ के साथ,

भीड़ के बिना, चुपचाप अंकुरित हुई।


उसे पकड़ना मुश्किल है,

वो आँखों में आधी, और खामोशी में आधी होती है।

शब्दों से परे, दर्द के पास,

एक अनकहा संगीत बन गई है।


जड़ें जैसे खिसकती हैं वैसे ही वो भागती है,

शब्द जोड़ो तो टूट जाते हैं।

वो बस सोच में लटकी रहती है,

एक याद बनकर आती है और बिना बताकर चली जाती है।


जब उसे गाने की कोशिश करो, वो शांत हो जाती है।

उसे नाम की जरूरत नहीं,

वो सिर्फ एक छाया है, एक साथ चलने वाली।


हमेशा साथ रहेगी —

अगर किसी दिन मैं न रहूं,

तो भी कविता बनी रहेगी।


जी आर कवियुर 

१६ ०५ २०२५

एकांत विचार – 43

 एकांत विचार – 43 


जिन्होंने तुम्हें प्यार दिया,

उन्हें दिल से सराहो।

जो मदद माँगते हैं,

उनकी ओर करुणा से हाथ बढ़ाओ।


जिन्होंने दुख दिया,

उन्हें माफ़ करने की भाषा बोलो।

चुपचाप दुख को भूल जाओ,

नई राह पर आगे बढ़ो।


जो छोड़कर चले गए,

उन्हें बिना दोष दिए चुप रहो।

जीवन की अगली यात्रा में,

प्यार के बीज बोते चलो।


जी आर कवियुर 

१५ ०५ २०२५

एकांत विचार – 42

 एकांत विचार – 42


ज्ञान एक दीपक के जैसा है,

जो अंधेरे में रास्ता दिखाता है।

धन से भी बढ़कर है इसकी कीमत,

सुंदरता को भी पीछे छोड़ देती है इसकी चमक।


पढ़े-लिखे लोग दुनिया की आंखें हैं,

वे नई सुबह की रौशनी लाते हैं।


सोना चाहे कितना भी हो, मन को ज्ञान ही चमकाता है,

क्या ज्ञान ही सच्चा आभूषण नहीं है?

भाग्य साथ न दे तो भी ज्ञान बढ़ता है,

उसकी कीमत साबित करने में पल ही काफी हैं।


एक बढ़ते पेड़ की तरह ज्ञान फैलता है,

और जीवन को ठंडी छांव देता है।


जी आर क

वियुर 

१५ ०५ २०२५


Wednesday, May 14, 2025

एकांत विचार – 41

एकांत विचार – 41

अगर जीवन एक किताब है,
तो हर पन्ना एक अनुभव बन जाता है।
कुछ पन्ने दुख की भारी बारिश से भरे होते हैं,
कुछ हमें खुशी के रास्ते पर ले जाते हैं।

कुछ उत्साह से भरी कहानियाँ कविताओं जैसी होती हैं,
जीवन कदम-कदम पर आगे बढ़ता है।
हमें हर मौके के साथ तालमेल बिठाना आना चाहिए,
और बढ़ने वाली पंक्तियों के साथ ताल बनाना चाहिए।

कुछ यादें चुपचाप धीरे-धीरे मिट जाती हैं,
नए पल नए दरवाज़े खोलते हैं।
पन्ना पलटे बिना रुकना नहीं चाहिए,
क्योंकि आगे नए दृश्य इंतज़ार कर रहे हैं।

जी आर कवियुर 
१५ ०५ २०२५

ग़ज़ल: "तेरा एहसास"

ग़ज़ल: "तेरा एहसास"

आज मैं तुझे महसूस करता रहूं
दिल के आईने में तुझको ही देखता रहूं

तेरी याद में हर शाम डूबा रहूं
तेरे नाम की शबनम में भीगता रहूं

तेरी सांस की खुशबू में बस जाऊं
जैसे गुलाब में एक रंग सा महकता रहूं

तेरे लफ़्ज़ हों और सन्नाटा मैं
उन हर्फ़ों की खामोशी को सुनता रहूं

हर एक मोड़ पर तेरा एहसास हो
तन्हा राहों में तुझे ही पुकारता रहूं

'जी.आर.' की धड़कनों में तू ही रहे
तेरे इश्क़ में हर दम ही जलता रहूं

जी आर कवियूर 
१५ ०५ २०२५

सूरज का पुनर्जन्म

सूरज का पुनर्जन्म

अनंत दिनों का अंत
सूरज की मद्धिम आभा में समा जाता है।
सांझ की नीरवता में
रंग फीके होकर बहते हैं,
आकाश पीली आभा में पिघलता है,
बादल धीरे से परछाईं बनते हैं।

गर्मी पीछे हटती है,
निशा धीरे-धीरे फैलती है,
पर्वत अंधकार में विलीन होते हैं,
छायाएं दूर तक उड़ जाती हैं।

प्रकाश ढलता है,
दोपहर सिमट जाती है,
रात आंखें खोलती है,
अंधेरा बहने लगता है।

आकाश गहरा नीला हो जाता है,
पक्षियों की चुप्पी अकेलापन कहती है,
हवा धीमे से बहती है,
पेड़ों की शाखें झुक जाती हैं।

ज्वालाएं मंद पड़ती हैं,
रोशनी क्षीण हो जाती है,
लगातार इंतजार में
तारें जाग उठती हैं।

समय प्रहरी बन जाता है,
चंद्रप्रभा पीछे हटती है,
सपने साँस लेने लगते हैं,
हृदय शांति में विलीन होते हैं।

धुंध बिखरने लगती है,
तारे नृत्य करते हैं,
सिहरन तन में समा जाती है,
पत्ते मूक साक्षी बनते हैं।

तारे खोने लगते हैं,
अंधेरा हटता है,
चंद्रकिरणें
रात को चीरकर निकलती हैं।

पर्वत शिखर रोशनी से चमकने लगते हैं,
पक्षी नई ध्वनि में गाते हैं,
आकाश खुलकर निखरता है,
हृदय अग्नि-साक्षी बनकर जागते हैं।

पूरब का क्षितिज सुर्ख होता है,
बादल सुनहरी आभा में जलते हैं,
आशा फिर से जन्म लेती है,
आत्माएं चमकने लगती हैं।

फूल कांपते हैं,
हवा चूमती है,
भोर धीरे से कदम रखती है,
शांति नया वस्त्र पहनती है।

जी आर कवियुर 
१४ ०५ २०२५


Tuesday, May 13, 2025

एकांत विचार – 40

एकांत विचार – 40

जीवन को सार्थक बनाएं

तेरी कोमल वाणी
धीरे से कानों तक आती है।
जो दृश्य सामने हैं,
वे किसी विशेष अनुभव जैसे लगते हैं।

आशीर्वाद के इन वर्षों में,
जब जीवन के बग़ीचे में खड़े हैं,
तब समझ नहीं आता
कि मैं कौन था — एक सत्य को जानने वाला।

कोई नहीं जानता ऐसा मत सोचो।
देखने और सुनने की शक्ति
हमें एक-दूजे को दी गई है —
आओ इस मानव जीवन को सार्थक करें।

जी आर कवियुर 
१४ ०५ २०२५

एकांत विचार – 39

एकांत विचार – 39

एक शांत राह में चलता हूँ,
कुछ पल साथ-साथ चलता हूँ।
धूप की धारा में प्रतिबिंब हैं,
सपनों जैसे जागते क्षण हैं।

साये धीरे साथ निभाते,
शाम की हवा कुछ कह जाते।
मन के भीतर गीत बजता है,
अनजाना चेहरा मुस्काता है।

कुछ चेहरे धीरे छिप जाते,
चुप पाँव कुछ नहीं बताते।
गिरे फूल जैसे बिखरते हैं,
इस यात्रा में मैं गाता हूँ।

जी आर कवियुर 
१३ ०५ २०२५

एकांत विचार – 38

एकांत विचार – 38

विश्वास की राह

फैलती धुंध हमें न छुए
शाम के आकाश में आशा जग सकती है
अंधेरी राहों में भी रोशनी मिल सकती है
एक बार गिरें तो भी उठने की ताकत बढ़ती है

हर चुनौती एक याद दिलाती है
अपने भीतर की शक्ति को जगाएं
आज हारने का डर छोड़ दो
समय ही हमारा गुरु है, जो सिखाता और परखता है

बिना बदलाव के आगे बढ़ना नामुमकिन है
रुकावटें हमें हमारे अंदर की अच्छाई तक ले जाती हैं
साहस के साथ संकल्प भी बढ़े
आखिरकार, सफलता हमें छूने जरूर आएगी

जी आर कवियुर 
१२ ०५ २०

शांतिपथ

शांतिपथ 

ना हो रणभेरी की गर्जना,
सुनाई दे केवल शांति की वाणी।
शस्त्र रहें निष्क्रिय धूल तले,
नेता हों सहज, निष्ठावान ज्ञानी।

न हो विस्तार की कोई लालसा,
न्याय से हो हर विवाद की भाषा।
न चलें तलवारें, बोले विचार,
प्रेम से बंधे हर एक व्यवहार।

क्रोध झरे जैसे पतझड़ पत्ता,
दया बने दुख में गीली छाता।
वैर गल जाए हिम की तरह,
प्रकाश उगे जहाँ मेल हो गहरा।


जी आर कवियुर 
१३ ०५ २०२५

Sunday, May 11, 2025

एकांत विचार – 38

एकांत विचार – 38

विश्वास की राह

फैलती धुंध हमें न छुए
शाम के आकाश में आशा जग सकती है
अंधेरी राहों में भी रोशनी मिल सकती है
एक बार गिरें तो भी उठने की ताकत बढ़ती है

हर चुनौती एक याद दिलाती है
अपने भीतर की शक्ति को जगाएं
आज हारने का डर छोड़ दो
समय ही हमारा गुरु है, जो सिखाता और परखता है

बिना बदलाव के आगे बढ़ना नामुमकिन है
रुकावटें हमें हमारे अंदर की अच्छाई तक ले जाती हैं
साहस के साथ संकल्प भी बढ़े
आखिरकार, सफलता हमें छूने जरूर आएगी

जी आर कवियुर 
१२ ०५ २०२५

एकांत विचार – 37

एकांत विचार – 37


अधिकार की तरह जो शब्द हम कहते हैं,
वो दिलों पर गहरी छाप छोड़ सकते हैं।
अनजाने में ही वे खिलते हैं,
और किसी के मन को बर्फ जैसा ठंडा बना सकते हैं।

भोजन जैसा स्वाद भले न हो,
फिर भी वे रुलाने का कारण बनते हैं।
कपड़ों जैसे सुंदर न सही,
फिर भी कई होंठों पर अटक जाते हैं।

जब चुप्पी कभी संगीत बन जाए,
शब्द आग न बन जाएँ।
जब प्यार की गर्मी खो जाए,
तो कोई भी एक शब्द के लिए तरसे नहीं।

जी आर कवियुर 
१२ ०५ २०२५

एक पिता का मौन प्रेम"

एक पिता का मौन प्रेम"

पिता के कदमों की छाँव में
प्रेम एक पेड़ की तरह बढ़ता है
मौन प्रेम के साथ जीवन फैलता है
और फूलों के बग़ीचे में खिलता है।

अनगिनत शब्द, कभी नहीं बोले
दिल में एक गहरी गहराई, जैसे महासागर
कठिन दिनों में भरी पीड़ा
वह सब प्यार से छुपा लेता है।

सिर्फ दस महीने नहीं, बल्कि एक पूरी ज़िन्दगी
किसी ने अपनी पूरी ज़िन्दगी बलिदान की
मौन में, वह उनके लिए सपने देखता है
अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए।

हंसी से वह अपने बच्चों को फूल देता है
प्रेम का प्रतीक देकर
दर्द को छुपा कर, मौन में
वह अपने विश्वास में दृढ़ रहता है।

वृद्धावस्था के संध्याकाल में, सभी वर्षों के साथ
प्रेम अनंत रूप से बहता है, जैसे एक नदी
वह ऊँचा खड़ा है, एक चमकते हुए उदाहरण के रूप में
अपने बच्चों के जीवन में एक प्रकाश स्तंभ की तरह

जी आर कवियुर 
११ ०५ २०२५

Friday, May 9, 2025

एकांत विचार – 36

एकांत विचार – 36

"जीवन के रंग"

हर दिल एक किताब है, जो कहानियों से भरी हुई है,
किसी के मुस्कान में, गहरी चुप्पी बसी होती है।

आशा के पंख सपनों को ऊँचा उठाते हैं,
रुकावटों के बीच, उम्मीद मुस्काती है।

दिल के अंधेरे कोनों में यादें रुक जाती हैं,
जबकि कोई चुपके से आँसू बहाता है।

दिन हर किसी के लिए अलग-अलग बहते हैं,
कुछ के लिए प्रेम एक गाना है, कुछ के लिए दर्द।

चुप ध्वनियाँ ज्ञान लाती हैं,
साधारण आँखों में अदृश्य दृश्य होते हैं।

हमारे चारों ओर छुपे अनुभव होते हैं,
जीवन हर दिल में एक सुंदर यात्रा है।

जी आर कवियुर 
१० ०५ २०२५

एकांत विचार – 35




एकांत विचार – 35

"वो हाथ थामते हैं"

भगवान हमें कभी अकेला नहीं छोड़ते
वो साया बनकर हमारे साथ रहते हैं

जब हम रोते हैं, वो दिलासा देते हैं
दुख में वो हमारे पास होते हैं

जब रास्ता खो जाए, वो रौशनी दिखाते हैं
आखिरी उम्मीद बनकर चमकते हैं

जब मन उलझे, वो शांति देते हैं
थके दिल को ताकत देते हैं

फिर से शुरू करने का हौसला देते हैं
हमारा हाथ पकड़कर आगे बढ़ाते हैं

अंधेरे में रौशनी बनकर आते हैं
फिर से उम्मीद से हमें जगाते हैं

जी आर कवियुर 
१० ०५ २०२५

एक प्राथना गीत




एक प्राथना गीत 

सर्वशक्तिमान प्रभु!
मैं पूरे दिल से आपसे प्रार्थना करता हूँ।

सीमा की रक्षा करने वाले सैनिकों को,
और वहां रहने वाले लोगों को
अपनी असीम शक्ति और शांति प्रदान करें।

उन्हें साहस और समझ दें,
ताकि वे निडर होकर जीवन जी सकें।
दयालु मार्ग पर चलने में उनका साथ दें,
और उनके आँसू पोंछें, हे ईश्वर!

करुणामय प्रभु, उन योद्धाओं की रक्षा करें,
जो खतरे के तूफानों का सामना कर रहे हैं।
अपने परिवारों के लिए वे आशा की रौशनी बनें,
और दिन-रात उनकी सुरक्षा करें।

उन क्षेत्रों में प्रेम और शांति फैलाएं,
नफ़रत को मिटाकर दिलों में सुकून भर दें।
टूटे दिलों को सहारा दें,
और अपना प्रेममय हाथ बढ़ाएं।

ऐसी दुनिया बनाएं जहाँ युद्ध न हो,
इंसानियत के रास्ते पर सबको चलाएं।
हमें एकता का वरदान दें,
और दोस्ती की रौशनी हर जगह फैलाएं।

जी आर कवियुर 
०९ ०५ २०२५

Thursday, May 8, 2025

एकांत विचार – 34



एकांत विचार – 34

ज़िंदगी एक किताब की तरह है
हर पन्ना कुछ नया लाता है
कुछ पन्नों में दुःख होता है
कुछ हमें खुशी से हँसाते हैं

अध्याय बदलते रहते हैं
उम्मीद नई राह दिखाती है
अगर एक क़दम आगे बढ़ें
तभी अगला क्या है, जान पाएंगे

अगर एक दरवाज़ा बंद हो जाए तो डरना मत
आगे नई राहें हमारा इंतज़ार कर रही हैं
पुरानी यादों को पीछे छोड़ सकते हैं
नई सुबह ज़रूर आएगी

जी आर कवियुर 
०८ ०५ २०२५

एक माँ की ताकत

 एक माँ की ताकत




वह उजड़े घरों की धूल में चलती है,

ज़मीन काँपती है, फिर भी डगमग नहीं होती।

एक हाथ में बच्चे को थामे,

दूसरे से वह राख से चूल्हा जलाती है।


उसके चारों ओर गोलियाँ बोलती हैं,

फिर भी उसकी आवाज़ सुबह जैसी शांत रहती है।

वह बिखरे चावल बटोरती है,

मानो शांति को फिर से जोड़ सकती हो।


दीवार पर कोई पदक नहीं टंगा,

फिर भी वह हर दिन लड़ती है।

उसकी चुप्पी में भी साहस की गूंज है—

हम जीवित हैं क्योंकि उसने हार नहीं मानी।


जी आर कवियुर 

०८ ०५ २०२५

Wednesday, May 7, 2025

एकांत विचार – 33




एकांत विचार – 33

ये धरती पर सफर कुछ पलों का ही तो है,
छांव में यादें धीरे-धीरे चलती हैं।
जब "मैं" का भाव थोड़ा पीछे हट जाता है,
तो खामोशी भी प्यार की बोली बन जाती है।

ज़रूरत की ओर नजर टिकती है जब,
ग़ैरज़रूरी चीज़ें खुद-ब-खुद छूट जाती हैं।
एक वियोग से रिश्ते टूट सकते हैं,
मोहब्बत की गांठें चुपचाप खुल जाती हैं।

बिन उत्तर शब्द भी शांत हो जाते हैं,
जहाँ भेद मिटे वहाँ सुकून खिलता है।
समय जैसे पवन बहकर चला जाता है,
जीवन एक निर्मल प्रार्थना बन जाता है।


जी आर कवियुर 
०७ ०५ २०२५

एकांत विचार – 32

एकांत विचार – 32

जब पीछे मुड़कर देखो, समय बहता जाता है,
पीछे बस परछाइयाँ ही रह जाती हैं।
जो सपने कल के लिए रखे थे, बिखर भी सकते हैं,
धुंध में छिपे, कभी खुलकर सामने नहीं आते।

गलत राहों पर बहुत कुछ खो सकता है,
ज़रूरत के हाथ भी छूट सकते हैं।
यादों में लम्हे बहते चले जाते हैं,
दिल में एक चुप सी पीड़ा रह जाती है।

आज ही मुस्कुराने का समय है,
बिना झिझक प्यार बांटने का पल है।
जीवन की किताब अचानक बंद हो सकती है,
कहानी पहले ही पन्ने पर खत्म भी हो सकती है।

 जी आर कवियुर 
०७ ०५ २०२५

एकांत विचार – 31

एकांत विचार – 31

जीवन है ईश्वर का अनमोल उपहार,
कुछ को लगता इसमें बस दुख ही दुख।
कुछ जीते हैं इसे सपनों की तरह,
वक़्त सुनाता है अपनी कहानी।

पल जब उपहार बनकर आते हैं,
दिल में नई रौशनी जगाते हैं।
मुस्कानों से दिन खिल उठते हैं,
मन में मीठी खुशी बस जाती है।

यादें आकर जब छू जाती हैं,
विचार नई राहें दिखाते हैं।
आशा बनकर आँखों में चमकती है,
जीवन प्रेम का रूप बन जाता है।

जी आर कवियुर 
०७ ०५ २०२५

एकांत विचार – 30

एकांत विचार – 30

आँखों में आँसू, रातें थीं भारी,
दूर कहीं एक उम्मीद की रोशनी प्यारी।
खामोशी के बीच उगता है सबेरा,
हमें बुलाता है नया सुनहरा सवेरा।

बादल जब थम जाएँ बरसना,
आकाश फिर से चमकने लगे हँसना।
फूल की खुशबू जैसे हो नरम,
मन में उठे मिठास की तरंग।

भीतर मुस्कान खिल जाए,
रास्ते में सुकून आ जाए।
दिल ठंडक में नहा जाए,
नज़रें प्यार से भर जाएँ।

जी आर कवियुर 
०६ ०५ २०२५

Sunday, May 4, 2025

तेरा प्रेम मुझे महसूस होता है

 


तेरा प्रेम मुझे महसूस होता है

लहरें आकर तट पर शांत हो गईं,
हवा ने आंखों के रास्ते छू लिया।
धरती की महक आकाश से उठी,
बारिश की बूंदें आवाज़ में बरस पड़ीं।

कोयल की पुकार से, दूर से गूंज आई,
हल्की लहरें उसकी तान को ले चलीं।
एक फूल मुस्कुराया धीरे से,
एक तितली उसमें सुंदरता से ठहरी।

नदी के किनारे लहरें चूमने लगीं,
जैसे चांदनी की प्यारी मुस्कान चमकी।
बादलों पर इंद्रधनुष ने रंग भरे,
और हर रंग से परे दिव्यता उभरी।

धूप में थककर जब चलना मुश्किल हुआ,
पेड़ की छांव ने मन को शीतल किया।
सपनों में भी आनंद खिल उठा,
तेरा प्रेम संदेश भर गया — हे कान्हा!

जी आर कवियुर 
०५ ०५ २०२५

एकांत विचार – 29

एकांत विचार – 29

जब शुरुआत धुंधली हो जाए, चलो ख़ामोशी में तलाश करें,
अनजाने रास्तों में भी उम्मीद से क़दम रखें।
रुकावटें जब कमज़ोर करें, विचार फिर से उठें,
अंधेरे में भी चमकते हैं कुछ सितारे।

एक छोटा दीपक लेकर दूर के सपने देखें,
जलती राहों पर भी आगे बढ़ते रहें।
इंद्रधनुष के रंगों में मिलती हैं नई दिशाएँ,
बंद आँखों में भी छिपे होते हैं कल के चमत्कार।

पुराने क़दमों को छोड़कर नया रास्ता खोजें,
डर को भूलकर भरोसे को साथ चलने दें।
यादों की लड़ाइयाँ हमें रोक नहीं सकतीं,
दिल की दीप्ति में नयी आशा को जगमगाने दें।

जी आर कवियुर 
०५ ०५ २०२५

एकांत विचार – 28

एकांत विचार – 28

प्यार माँगने से नहीं, अपने आप मिलना चाहिए
साधारण व्यवहार से वह खिल उठे
मित्रता सहजता से साथ चले
सम्मान तब मिलता है जब कोई पहले दे

आँखों की करुणा अच्छाई की पहचान है
चुपचाप किया गया सहयोग अनमोल होता है
बिना कहे बाँटा गया भाव अमिट रहता है
साथ चलने वाला मन भरोसा जगाता है

रिश्ता बाँध कर नहीं चलता
दोनों की रज़ामंदी से वह फलता है
गहराई से दिया गया ही सच्चा होता है
तभी उसमें प्रेम का सार मिलता है

जी आर कवियुर 
०४ ०५ २०२५

Saturday, May 3, 2025

एकांत विचार – 27

एकांत विचार – 27

सुंदर है ये सृष्टि नहीं,
जब अपना हो कोई, तभी है सच्ची सुंदरता।
एक मुस्कान, एक नज़र ही काफी है,
मन में बहार सी छा जाती है।

सिर्फ साथ बिताए पल ही नहीं,
यादें भी मधुर गीत बन जाती हैं।
भीड़ में भी हर तरफ,
सिर्फ उसी में रंग दिखाई देता है।

चारों ओर का आसमान भी,
नए रंगों में चमकने लगता है।
जहाँ वह होता है, वही जगह
दिल में प्रेम भरा सपना बन जाती है।

जी आर कवियुर 
०४ ०५ २०२५

एकांत विचार – 26

एकांत विचार – 26

शब्दों को कहने से पहले तोलना चाहिए,
क्रोध उन्हें रास्ता न दिखाए।
वे तलवार जैसे चुभ सकते हैं,
दिलों को घायल कर सकते हैं बिना खून बहाए।

नज़रों में मिठास भरनी चाहिए,
करुणा भी आंखों में झलकनी चाहिए।
सिर्फ शरीर ही नहीं, आत्मा भी पीड़ित होती है,
तीखे बोल दिल को गहराई तक चीरते हैं।

सौंदर्य और स्नेह से बातें सजाएं,
मौन का भी मान रखें।
एक शब्द ही काफी है दिल तोड़ने को—
इसलिए पहले उसका स्वाद चख लें।

जी आर कवियुर 
०२ ०५ २०२५

एकांत विचार - 25

एकांत विचार - 25

जब मन जागे,
तुम्हें दिशा दिखानी चाहिए।
जब इच्छा आए,
उसे तुरंत स्वीकार मत करो।

जब विचार बाहर कूदें,
तब शांति से प्रतिक्रिया करो।
जब तुम असावधान हो जाओ,
भ्रम तुम्हारा मार्ग बना लेगा।

मन को अपनी पकड़ में रखो,
अगर तुम ऐसा नहीं करोगे,
तो वह तुम्हें
बिना जानें दबा लेगा।

जी आर कवियुर 
०१ ०५ २०२५

Thursday, May 1, 2025

"तेरे नाम से जीना" ( ग़ज़ल)

"तेरे नाम से जीना" ( ग़ज़ल)

तेरे नाम से ही जीता रहा हूं
तेरे नाम की ही सदा रहा हूं

तेरे दर्द से ही सीखा है जीना
तेरे ग़म में ही मुस्कुरा रहा हूं

तेरे ख्वाब हर रात आते रहे
मैं उन ख्वाबों में ही बसा रहा हूं

तेरे आने की बस एक आस थी
उसी आस पर ही टिका रहा हूं

तेरे पहलू की थी जो आरज़ू
उसे दिल में ही मैं छुपा रहा हूं

"जी आर" ने जब तुझे याद किया
हर आंसू में भी दुआ रहा हूं

जी आर कवियूर 
०२ ०५ २०२५

अनुभूति से महकती प्रेम घाटी में

अनुभूति से महकती प्रेम घाटी में

जब तू एक बार मुस्काई,
मेरे दिल में भोर उतर आई।
जैसे कोई सपना जो भुलाया न जाए,
दिल ने गीतों में तुझे गाया।

तेरे इंतज़ार में जो राहें थीं,
हवा ने कानों में गीत गुनगुनाए।
तेरी खुशबू ने वसंत बसा दिया मुझमें,
उंगलियों की रेखाओं पर तितलियाँ नाच उठीं।

रात को जब तू चाँद बनकर छू गई,
दिल के सागर में लहरें उठीं।
जब पंछी प्रेम की भाषा में गाने लगे,
आँखों की गहराइयों में आनंद फूट पड़ा।

तेरी यादें ऋतु की पराग बनके,
हर पंक्ति में फूल बन बिखर गईं।
जैसे कोई कविता जो समय को भुला दे,
तेरे प्यार में मैं अब भी जी रही हूँ...

जी आर कवियुर 
०२ ०५ २०२५

ग़ज़ल : तुम्हारी मुस्कान से

ग़ज़ल : तुम्हारी मुस्कान से


चमन में जब तुम्हारी मुस्कान की बात चल पड़ी,
हर शाख में बहारों की मीठी सौगात चल पड़ी।

हवा भी थम गई थी जब छाया तुम्हारा रूप,
साँझ की हर धड़कन में तेरी ही बात चल पड़ी।

तेरा नाम जैसे कोमलता की पहचान हो,
कण-कण में तेरी छवि की सौंधी बात चल पड़ी।

जो गीत अधूरा था वो तुमसे पूर्ण हो गया,
बिन बोले भी मन की भाषा में बात चल पड़ी।

तेरे अधरों की मूक हँसी ने कह दिया सब कुछ,
बिना शब्दों के भी भावों की बात चल पड़ी।

जी आर ने भी दिल से तुझको अपना मान लिया,
अब हर साँस में तेरे नाम की बात चल पड़ी।


जी आर कवियूर 
०२ ०५ २०२५

"अंधेरे में खिला एक प्रेम गीत"

"अंधेरे में खिला एक प्रेम गीत"

अंधेरे की चादर में छिपकर,
मैंने तुझे पहली बार
प्रेम का उपहार दिया —
चाँद भी ठिठक कर देखता रहा।

लज्जा से बादल बन पर्दा आया,
क्यों तूने धीरे से चेहरा छुपाया?
बिन आँसू के तूने सब जान लिया,
और मेरी आँखों में सपना बन गया।

गर्मी के मौसम में जैसे पहली बारिश,
तू आया कुछ पल की रवानी बनके,
कोई गीत न गाया ज़ुबाँ से मगर,
दिल के सुरों में तू लहर बनके पिघल गया।

बिना रंगों की जो तस्वीर बनी थी,
तेरी मुस्कान ने उसमें जान भर दी।
कोमल कली की तरह मैं अब
तेरे लिए कविता बन खिलती हूँ।

तेरा हाथ थामकर मैंने,
जीवन के रास्तों को चूम लिया…
बीते दिनों की यादें आज भी
मीठे दर्द का साज़ छेड़ती हैं।

जी आर कवियुर 
०२ ०५ २०२५

एकांत विचार – 23

Hindi Version

एकांत विचार – 23

मजदूर की गरिमा: प्रेम और एकता

वह जो कठिनाई में काम करके जीवन यापन करता है,
जो पसीने की कीमत जानता है।
वह जो दूसरों की मांगों के सामने नहीं झुकता,
लेकिन न्याय के लिए बिना अन्याय किए काम करता है।

जो दूसरों के नियमों का केवल पालनकर्ता नहीं बनता,
जो प्राप्त किए गए को गर्व से नहीं देखता,
वह जो ज्ञान में बढ़ता है,
और समर्पण के साथ जीवन जीता है।

काम, परिवार और देश के प्रति प्रेम के साथ,
उसकी कठिनाइयों को पार करता हुआ,
मैं उसकी दिनचर्या को शुभकामनाएं देता हूँ।

जी आर कवियुर 
०१ ०५ २०२५

एकांत विचार – 24



एकांत विचार – 24

आत्मा में सच्चाई हो सकती है।
सपने बिना हार के पूरे किए जा सकते हैं।
मौन में भी अर्थ मिलते हैं।
आस्था दीपक की तरह राह दिखाती है।

निर्भय होकर आगे बढ़ो।
कर्मों से क्षणों को खोजो और थाम लो।
जो रास्ते सही न लगें, उन्हें छोड़ दो।
अंदर की आवाज़ सुनो।

हृदय की धड़कन का अनुसरण करो।
बाहरी शोर को पार करो।
जीवन में शांति खोजो, ज्ञान से उजाला फैलाओ।
सिर्फ अपनी आत्मा से प्रेम करो।

जी आर कवियुर 
०१ ०५ २०२५