Sunday, May 11, 2025

एक पिता का मौन प्रेम"

एक पिता का मौन प्रेम"

पिता के कदमों की छाँव में
प्रेम एक पेड़ की तरह बढ़ता है
मौन प्रेम के साथ जीवन फैलता है
और फूलों के बग़ीचे में खिलता है।

अनगिनत शब्द, कभी नहीं बोले
दिल में एक गहरी गहराई, जैसे महासागर
कठिन दिनों में भरी पीड़ा
वह सब प्यार से छुपा लेता है।

सिर्फ दस महीने नहीं, बल्कि एक पूरी ज़िन्दगी
किसी ने अपनी पूरी ज़िन्दगी बलिदान की
मौन में, वह उनके लिए सपने देखता है
अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए।

हंसी से वह अपने बच्चों को फूल देता है
प्रेम का प्रतीक देकर
दर्द को छुपा कर, मौन में
वह अपने विश्वास में दृढ़ रहता है।

वृद्धावस्था के संध्याकाल में, सभी वर्षों के साथ
प्रेम अनंत रूप से बहता है, जैसे एक नदी
वह ऊँचा खड़ा है, एक चमकते हुए उदाहरण के रूप में
अपने बच्चों के जीवन में एक प्रकाश स्तंभ की तरह

जी आर कवियुर 
११ ०५ २०२५

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