Wednesday, May 28, 2025

जंगल की यादें

जंगल की यादें

पुराने ज़माने में जंगल था घर,
हर पेड़, हर झरना था सुंदर सफर।
पंछी गाते थे, हवा मुस्काती थी,
छांव में मिलती थी ज़िंदगी सस्ती।

कच्चे रास्ते, खुला आसमान,
हर कोना था जैसे भगवान का स्थान।
अब इंसान ने बदल डाली राहें,
काट दिए पेड़, खो दीं चाहें।

पर जंगल अब भी करता है इंतज़ार,
खामोशी में कहता है प्यार।
अगर लौटे इंसान फिर एक बार,
मिलेगा वहां सुकून अपार।

जी आर कवियुर 
२८ ०५ २०२५

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