Monday, May 19, 2025

एकांत विचार – 46

 एकांत विचार – 46


जब शब्द अग्नि बन जाएं, छूना भी चुभन दे

परछाई में छिपे हों, फिर भी चिंगारी उड़ती है

लाल रंग की शांति में भी, दिल चुपचाप टूटता है

पंख जल जाएं अगर, राख बनकर उड़ते हैं


विचार दूर जाएं तो, समय रुक जाता है

प्यार से कहा गया भी, तलवार बन सकता है

मजाक में बोला गया, आग का रास्ता बन जाए

जो अनदेखा हो, वो भी दर्द दे सकता है


पाठक रोएं तो, लेखक भी कांपता है

कभी-कभी चुप्पी भी रास्ता दिखाती है

एक शब्द हज़ार कहानियाँ कह सकता है

कर्म से परे भी, बातों में ताकत होती है।


जी आर कवियुर 

१८ ०५ २०२५


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