जीवन को सार्थक बनाएं
तेरी कोमल वाणी
धीरे से कानों तक आती है।
जो दृश्य सामने हैं,
वे किसी विशेष अनुभव जैसे लगते हैं।
आशीर्वाद के इन वर्षों में,
जब जीवन के बग़ीचे में खड़े हैं,
तब समझ नहीं आता
कि मैं कौन था — एक सत्य को जानने वाला।
कोई नहीं जानता ऐसा मत सोचो।
देखने और सुनने की शक्ति
हमें एक-दूजे को दी गई है —
आओ इस मानव जीवन को सार्थक करें।
जी आर कवियुर
१४ ०५ २०२५
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