Tuesday, May 13, 2025

एकांत विचार – 39

एकांत विचार – 39

एक शांत राह में चलता हूँ,
कुछ पल साथ-साथ चलता हूँ।
धूप की धारा में प्रतिबिंब हैं,
सपनों जैसे जागते क्षण हैं।

साये धीरे साथ निभाते,
शाम की हवा कुछ कह जाते।
मन के भीतर गीत बजता है,
अनजाना चेहरा मुस्काता है।

कुछ चेहरे धीरे छिप जाते,
चुप पाँव कुछ नहीं बताते।
गिरे फूल जैसे बिखरते हैं,
इस यात्रा में मैं गाता हूँ।

जी आर कवियुर 
१३ ०५ २०२५

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