एकांत विचार – 28
प्यार माँगने से नहीं, अपने आप मिलना चाहिए
साधारण व्यवहार से वह खिल उठे
मित्रता सहजता से साथ चले
सम्मान तब मिलता है जब कोई पहले दे
आँखों की करुणा अच्छाई की पहचान है
चुपचाप किया गया सहयोग अनमोल होता है
बिना कहे बाँटा गया भाव अमिट रहता है
साथ चलने वाला मन भरोसा जगाता है
रिश्ता बाँध कर नहीं चलता
दोनों की रज़ामंदी से वह फलता है
गहराई से दिया गया ही सच्चा होता है
तभी उसमें प्रेम का सार मिलता है
जी आर कवियुर
०४ ०५ २०२५
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