Sunday, May 11, 2025

एकांत विचार – 37

एकांत विचार – 37


अधिकार की तरह जो शब्द हम कहते हैं,
वो दिलों पर गहरी छाप छोड़ सकते हैं।
अनजाने में ही वे खिलते हैं,
और किसी के मन को बर्फ जैसा ठंडा बना सकते हैं।

भोजन जैसा स्वाद भले न हो,
फिर भी वे रुलाने का कारण बनते हैं।
कपड़ों जैसे सुंदर न सही,
फिर भी कई होंठों पर अटक जाते हैं।

जब चुप्पी कभी संगीत बन जाए,
शब्द आग न बन जाएँ।
जब प्यार की गर्मी खो जाए,
तो कोई भी एक शब्द के लिए तरसे नहीं।

जी आर कवियुर 
१२ ०५ २०२५

No comments:

Post a Comment