आज मैं तुझे महसूस करता रहूं
दिल के आईने में तुझको ही देखता रहूं
तेरी याद में हर शाम डूबा रहूं
तेरे नाम की शबनम में भीगता रहूं
तेरी सांस की खुशबू में बस जाऊं
जैसे गुलाब में एक रंग सा महकता रहूं
तेरे लफ़्ज़ हों और सन्नाटा मैं
उन हर्फ़ों की खामोशी को सुनता रहूं
हर एक मोड़ पर तेरा एहसास हो
तन्हा राहों में तुझे ही पुकारता रहूं
'जी.आर.' की धड़कनों में तू ही रहे
तेरे इश्क़ में हर दम ही जलता रहूं
जी आर कवियूर
१५ ०५ २०२५
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