(एक सार्वभौमिक प्रार्थना)
तारे चुपचाप शांति की बात कहें,
नदियाँ सपनों को सच्चाई तक बहाएँ।
पहाड़ों में गूंजे दया की धुन,
फूल हर जगह मुस्काएँ।
हाथ अलग हों, दिल में हो प्यार,
नज़रें अलग हों, आत्मा एक आधार।
रास्ते घूमे ज़मीन और पानी में,
प्यार ही है अंतिम चाबी।
कोई मंदिर दूर नहीं, कोई नाम बड़ा नहीं,
सब प्रार्थनाएँ उठें एक ही लहर में।
हर धर्म, हर पवित्र सुर में,
जहाँ आशा हो, वहीं एक उजाला चमके।
जी आर कवियुर
२३ ०५ २०२५
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