Thursday, May 29, 2025

एकांत विचार – 57

 एकांत विचार – 57


हर कर्म बनता है एक बीज,

चुपचाप बोया गया सही बीज।

कुछ खिलते हैं सुबह की रौशनी में,

कुछ चुभते हैं काली रातों में।


दया बढ़ती है कोमल देखभाल से,

क्रोध सूखा देता है ज़मीन।

सच चमकता है रंगों के साथ,

झूठ मिट जाता है बिना शोर के।


हर कदम बनाता है बग़ीचा,

जड़ें फैलती हैं धीरे-धीरे।

दिल से चुनो हर राह को,

हर क्रिया में छुपा है निर्णय।


जी आर कवियुर 

३० ०५ २०२५

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