तेरा प्रेम मुझे महसूस होता है
लहरें आकर तट पर शांत हो गईं,
हवा ने आंखों के रास्ते छू लिया।
धरती की महक आकाश से उठी,
बारिश की बूंदें आवाज़ में बरस पड़ीं।
कोयल की पुकार से, दूर से गूंज आई,
हल्की लहरें उसकी तान को ले चलीं।
एक फूल मुस्कुराया धीरे से,
एक तितली उसमें सुंदरता से ठहरी।
नदी के किनारे लहरें चूमने लगीं,
जैसे चांदनी की प्यारी मुस्कान चमकी।
बादलों पर इंद्रधनुष ने रंग भरे,
और हर रंग से परे दिव्यता उभरी।
धूप में थककर जब चलना मुश्किल हुआ,
पेड़ की छांव ने मन को शीतल किया।
सपनों में भी आनंद खिल उठा,
तेरा प्रेम संदेश भर गया — हे कान्हा!
जी आर कवियुर
०५ ०५ २०२५
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