तेरे नाम से ही जीता रहा हूं
तेरे नाम की ही सदा रहा हूं
तेरे दर्द से ही सीखा है जीना
तेरे ग़म में ही मुस्कुरा रहा हूं
तेरे ख्वाब हर रात आते रहे
मैं उन ख्वाबों में ही बसा रहा हूं
तेरे आने की बस एक आस थी
उसी आस पर ही टिका रहा हूं
तेरे पहलू की थी जो आरज़ू
उसे दिल में ही मैं छुपा रहा हूं
"जी आर" ने जब तुझे याद किया
हर आंसू में भी दुआ रहा हूं
जी आर कवियूर
०२ ०५ २०२५
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