प्राचीन समय में
मनुष्य ने इशारों से
अपने विचार साझा किए।
जब शब्दों ने जन्म लिया,
तब मन की राहें खुल गईं।
मातृभाषा मलयालम मुझे अत्यंत प्रिय है,
लेकिन जीवन को प्रिय है
विभिन्न भाषाओं की सुंदरता —
भारत में हैं बाईस आधिकारिक भाषाएं!
“हर दो मील पर पानी का स्वाद बदलता है,
हर चार मील पर भाषा भी बदल जाती है”—
इतनी गहराई है विचारों की
इस भाषाओं से भरे भारत में, एक महान ग्रंथ जैसा देश!
भाषा के लिए संघर्ष हुए,
लेकिन अंत में मिला एकता का संदेश —
"विविधता में एकता!"
गणित से लेकर संगीत तक,
भाषाओं ने मनुष्य को ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
जब भी हम नए दरवाज़े खोलते हैं,
नई खोजों के साथ-साथ
नई भाषाएं भी चलती हैं।
जी आर कवियुर
२३ ०४ २०२५
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