Monday, May 19, 2025

तेरी परछाईं साथ रही" (ग़ज़ल)

 तेरी परछाईं साथ रही" (ग़ज़ल)


तुझसे मिलने की ख्वाहिश रही

तेरी यादों की परछाई साथ रही


हर सदा में तेरा नाम सुनाई दिया

चुप थी दुनिया, पर तू गुनगुनाई रही


चाँदनी रातें भी तुझसे शिकायत करें

क्यूँ तेरी आँखों में वो रौशनी नहीं रही


तेरे बिना हर खुशी लगती अधूरी सी

तेरे साथ हर तक़लीफ़ भी सुकून बनी रही


अब तो लम्हे भी तेरी तस्वीर से डरते हैं

‘जी आर’ की हर शायरी में तू ही बसी रही


जी आर कवि

यूर 

१६ ० ५ २०२५


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