आँखों में आँसू, रातें थीं भारी,
दूर कहीं एक उम्मीद की रोशनी प्यारी।
खामोशी के बीच उगता है सबेरा,
हमें बुलाता है नया सुनहरा सवेरा।
बादल जब थम जाएँ बरसना,
आकाश फिर से चमकने लगे हँसना।
फूल की खुशबू जैसे हो नरम,
मन में उठे मिठास की तरंग।
भीतर मुस्कान खिल जाए,
रास्ते में सुकून आ जाए।
दिल ठंडक में नहा जाए,
नज़रें प्यार से भर जाएँ।
जी आर कवियुर
०६ ०५ २०२५
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