Wednesday, May 7, 2025

एकांत विचार – 32

एकांत विचार – 32

जब पीछे मुड़कर देखो, समय बहता जाता है,
पीछे बस परछाइयाँ ही रह जाती हैं।
जो सपने कल के लिए रखे थे, बिखर भी सकते हैं,
धुंध में छिपे, कभी खुलकर सामने नहीं आते।

गलत राहों पर बहुत कुछ खो सकता है,
ज़रूरत के हाथ भी छूट सकते हैं।
यादों में लम्हे बहते चले जाते हैं,
दिल में एक चुप सी पीड़ा रह जाती है।

आज ही मुस्कुराने का समय है,
बिना झिझक प्यार बांटने का पल है।
जीवन की किताब अचानक बंद हो सकती है,
कहानी पहले ही पन्ने पर खत्म भी हो सकती है।

 जी आर कवियुर 
०७ ०५ २०२५

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