शब्दों को कहने से पहले तोलना चाहिए,
क्रोध उन्हें रास्ता न दिखाए।
वे तलवार जैसे चुभ सकते हैं,
दिलों को घायल कर सकते हैं बिना खून बहाए।
नज़रों में मिठास भरनी चाहिए,
करुणा भी आंखों में झलकनी चाहिए।
सिर्फ शरीर ही नहीं, आत्मा भी पीड़ित होती है,
तीखे बोल दिल को गहराई तक चीरते हैं।
सौंदर्य और स्नेह से बातें सजाएं,
मौन का भी मान रखें।
एक शब्द ही काफी है दिल तोड़ने को—
इसलिए पहले उसका स्वाद चख लें।
जी आर कवियुर
०२ ०५ २०२५
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