Wednesday, July 31, 2024

तेरे प्यार की यादों में

तेरे प्यार की यादों में

दिल सुलग जाएगा  
तेरे प्यार की यादों में  
रातें जाग जाएंगी  
तेरे ख्वाबों की बातों में  

आंखों से बरसेगी  
यादों की सावन  
दिल में उठेगी  
जुदाई की आहट  

बेताबी बढ़ जाएगी  
तेरे बिना जीने की  
खुशबू महक जाएगी  
तेरी यादों के मौसम में  

तेरे नाम की धुन में  
दिल मचल जाएगा  
तेरे प्यार की यादों में  
फिर से बहल जाएगा  

जी आर कवियूर
 01 08 2024 

तेरी यादों में ही, दिल लगा रहता है

पूछो तो मैं कैसे रात बिताई
करुवत्ते बदलते रहे हैं
आतिथी तेरे याद पुराने
जीते हैं तेरी छाया में सनम

हर आहट में, तेरी आवाज़ सुनाई देती है
तेरे बिना ये रात, अधूरी सी लगती है
यादों के साए में, हम जी रहे हैं
तेरे बिना, ये जिंदगी अधूरी सी लगती है

जब भी तेरा ख्याल, दिल में आता है
सांसों में, तेरी महक बस जाती है
तेरे बिना जीना, मुश्किल हो गया है
तेरी यादों में ही, दिल लगा रहता है

जी आर कवियूर
 31 07 2024 


Tuesday, July 30, 2024

मोरे सांवरिया

मोरे सांवरिया

आज मोरे सांवरिया
आई है प्रेम स्वरूप लेकर
मन भाई है क्या करूं क्या कहूं

राह न सूझे, मन भटकाए
तेरी मूरत नयन बसाए
प्रीत के धागे, मन को बांधे
दिल के तारों को झनकाए

हर पग तेरा, मोहे रिझाए
तेरे बिना जग सूना जाए
मन में बस तू, प्राण बसाए
तेरे बिना कुछ भी न भाए

आओ अब तो, पास हमारे
प्रीत की बातें, कहो दोबारा

जी आर कवियूर

तेरे बिना ये दिल है

तेरे बिना ये दिल है

करवटें बदल बदल कर रात भर नींद ना आए  
तारे जैसे तेरी नैना की यादों में जो समाए  

आंसुओं से सजे हैं ये जख्म पुराने मेरे  
तेरी यादों के बंधन में दिन-रात बीत जाए  

तेरे बिना ये दिल है कैसे उदास रहता  
तेरी यादों में बसी हर सास महक जाए  

सपनों में तेरी तस्वीरें हैं बसी मेरी  
कभी गुनगुनाती, कभी चांदनी भी रो जाए  

तेरी यादों का जादू है अजीब, ए जान  
हर धड़कन में तेरा नाम रच बस जाए

जी आर कवियूर
 30 07 2024 

Saturday, July 27, 2024

तेरी यादों

तेरी यादों 

यूं तो क्या जाने हम
तेरी यादों की छाया में 
तन्हाइयों में बिखरे दिन रात
सपनों की सहारा और
कितने दिन चले आओ

तेरे बिन हर खुशी अधूरी
हर ख्वाहिश रही अधूरी
आओ अब लौट आओ
दिल को फिर से सजाओ

तेरे बिना ये जीवन सूना
बीतता नहीं एक भी पहर
राह में निगाहें बिछी हैं
तेरी यादों का साया हर पल साथ है

जी आर कवियूर
 27 07 2024 

Thursday, July 25, 2024

तू मेरी ग़ज़ल बन जाए,


 तू मेरी ग़ज़ल बन जाए,

चाहत इतनी की तू मेरी ग़ज़ल बन जाए,
हारमोनियम की सांसों में, तबला की ताल बन जाए।
तेरे बिना ये दिल वीरान-सा हो जाए,
हँसी से जैसे, फूलों में बहार आ जाए।

निगाहें जब मुझसे बात करती हैं,
जैसे साज पे मधुर धुन कोई बज जाए।
बातों में ही सारा जहाँ बसता है,
बिना तेरे ये जीवन अधूरा रह जाए।

मोहब्बत का रंग ऐसा गहरा है,
हर एक शेर में तेरा नाम लिखा रह जाए।
बिना तेरे ये धड़कन भी ख़ामोश हो जाए,
साथ तेरे ही जैसे ज़िंदगी की नई राह मिल जाए।

जी आर कवियूर
 25 07 2024

Wednesday, July 24, 2024

तारीफ करूं कैसे

तारीफ करूं कैसे


हम तेरे हुस्न की
तारीफ करूं कैसे
क्या बताएं कि
मैं गुजरे हुए दोनों
की याद में थे।

तेरे बिना ये दिल
बेक़रार रहता है,
तेरी राहों में हर पल
इंतज़ार रहता है।

तेरी मुस्कान में
जादू सा बसा है,
तेरे आने से ये जहाँ
खूबसूरत लगता है।

तेरे बिना ये शाम
तन्हा सी लगती है,
तेरी यादों में हर रात
बेख़ुदी सी लगती है।

तू जो मिले तो
जीवन में रंग भर जाए,
तेरे बिना ये दिल
सदा वीरान रह जाए।

जी आर कवियूर
 25 07 2024

दशरथ विलाप

दशरथ विलाप 


जब मैं सोचता हूँ बीते दिन-रात,
कैसे घटा अयोध्या का वो काला प्रलय।
रघुकुल नायक, वचन के पक्के,
किया मैंने खुद को अपने वचन के हवाले।

राम, मेरे प्रिय, अयोध्या का राज,
जिसे सौंपना था मैंने, सबसे ताज।
कैकेयी के वरदान ने बदला खेल,
बेटे को वनवास, और दिल को दर्द बेहाल।

वो पल जब मैंने दिया था वर,
कैकेयी को, मेरे मन में थी खुशी भर।
किसे पता था, एक दिन आएगा ऐसा,
जो ले जाएगा राम को मुझसे दूर वैसा।

मन में दर्द, आँखों में आँसू,
राम के बिना, जीवन हो गया है बेमतलब।
कैसे कहूँ, मेरे दिल का हाल,
राम के बिना, जीवन हो गया है कंगाल।

राम का वन जाना, मेरे लिए अभिशाप,
कैसे सहूं मैं इस दुःख का प्रलाप।
मेरे वचन ने किया मुझे कमजोर,
राम के बिना, जीवन हो गया है कठोर।

हे राम, हे पुत्र, लौट आओ,
तेरे बिना, जीना है अब नामुमकिन।
मैं जानता हूँ, तू धर्म का पालन करेगा,
पर तेरे बिना, मेरा दिल सदा रोएगा।


जी आर कवियूर
 25 07 2024

याद अभी जगराते

याद अभी जगराते


भीगी सी रातें, वह मुलाकातें,
किए हुए बातें, याद अभी जगराते।

तेरी हँसी का रंग, बिखरा हर पल यहाँ,
तेरे बिना सूना, जैसे कोई सपना अधूरा।

चाँदनी रातों में, तेरा चेहरा चमकता,
तेरी यादों का सफर, दिल में सदा महकता।

तू है मेरी मंजिल, तू है मेरा रास्ता,
तेरे बिना ये सफर, लगता है बस एक किस्सा।

हर सुबह तेरी याद, हर शाम तेरा नाम,
तेरे बिना जिन्दगी, जैसे अधूरा एक पैगाम।

जी आर कवियूर
 24 07 2024

दिल में समयई

दिल में समयई 

दिल में समयी, तेरी यादें मुझको,
जीने का हौसला, तेरी बातों में है खो।

बसे हैं जब तेरे ख्वाब दिल के आसमां में,
तुझसे बिन ही, ये जहां यहाँ में।

तू जहां भी है, बस तू है मेरे संग,
तेरी यादों में, ढूंढता हूँ मैं अपनी धड़कन।

वो पल जब साथ थे, दिल से दिल की बात थी,
तुझसे बिन हर राह, अधूरी हर खुशी थी।

तेरी खुशबू, तेरी बातें, ये अहसास गहरा,
तेरे बिना हर खुशी, जैसे बेनाम सा सहरा।

यादें तेरी सजी हैं, दिल की दीवारों पर,
तू है सबसे खास, तेरे बिना ये दिल खाली
 हर पल यहाँ पर।

जी आर कवियूर
 24 07 2024

भाग्य तुम्हारा भी बदलेगा निश्चित।

भाग्य तुम्हारा भी बदलेगा निश्चित।


बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता,
ये सच है, ना मानो झूठ।
सपने देखते रहो तो सही,
कोशिश हो मेहनत संग धीरज।

भाग्य का खेल है ये सारा,
लेकिन कर्म करो, ना हो निठल्ला।
आगे बढ़ो तो रास्ते मिलेंगे,
ठहरने से कुछ ना मिलेगा।

मन की शांति में छुपा है रहस्य,
संतोष में है सारा जीवन का रस।
कर्म करो और भरोसा रखो,
भाग्य तुम्हारा भी बदलेगा निश्चित।


जी आर कवियूर
 24 07 2024


फिर से आया सावन

तुम हो बिल्कुल वैसी ही,
जैसे ख़्वाबों में आई थी,
भादों की बरसात सी आँखें,
सावन की याद दिलाती थीं।

तुम्हारे आने से मन में,
फिर से बहार आई है,
सपनों की गलियों में जैसे,
फूलों की कतार छाई है।

तेरी मुस्कान से रोशन,
हर एक कोना दिल का,
यादों की बौछारें लेकर,
फिर से आया सावन 

जी आर कवियूर
 23 07 2024

हर दिन

हर दिन उसके चेहरे पर खुशियों की चमक होती है
उसकी आवाज़ में है मधुरता, हर कोई मोहित होता है
संवेदनशील ह्रदय उसका, सबका ख्याल रखता है
हर हाल में दूसरों के लिए कुछ न कुछ करता है।

उसे देख कर हर कोई सुकून पाता है
उसके विचारों में है एक नई रौशनी
हर किसी को प्रेरित करने का जज्बा है उसमें
हर पल देता है वह हिम्मत की नई कहानी।

उसकी नज़रों में हैं सपनों की उड़ान
हर कदम पर बस विश्वास और सम्मान
उसकी उपस्थिति से जीवन में बहार है
उसके बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है।

जी आर कवियूर
 23 07 2024

यादें पुरानी तेरी

यादें पुरानी तेरी

यादें पुरानी तेरी  
मीठी सी लगती है  
आज तो फिर भी  
कहूं क्या काम भी नहीं  

बीते लम्हों की वो बाते  
सपनों में जो सजती हैं  
दिल में उतर जाती हैं  
आंखों में जैसे छपती हैं  

फिजाओं में भी गूंजे  
वो हंसी तेरी प्यारी  
कहीं खो गई हैं वो  
यादें, आज भी हैं जारी

जी आर कवियूर
 24 07 2024

Monday, July 22, 2024

ए खुदा, मुझे रास्ता दिखा

जिंदादिली की आड़ में
खोजता रहा मौत की पैगाम
ए खुदा यह क्या हो गया
सोच को काबू में नाला पाया

रातों को नींद नहीं आती
दिन में सुकून नहीं मिलता
तन्हाई का आलम ऐसा है
दिल को चैन नहीं मिलता

हर कदम पर है अंधेरा
रास्ता नजर नहीं आता
कहाँ जाऊं, किसे पुकारूं
दिल को कुछ समझ नहीं आता

खुशियों का पल कहाँ खो गया
गम का साया क्यों छा गया
ए खुदा, मुझे रास्ता दिखा
जीवन को फिर से रौशन कर

जी आर कवियूर
 23 07 2024

ये क्यों होता है, मालूम नहीं।

ये क्यों होता है, मालूम नहीं।

दिल ये उम्मीद करता है,
तुझे बार-बार देखने की।
अगर इत्तेफाक से ना मिल पाते हैं,
ये क्यों होता है, मालूम नहीं।

तेरी यादों में खो जाते हैं,
तेरी बातों में मुस्कुराते हैं।
हर पल तुझे याद करते हैं,
तेरे बिना दिल नहीं लगता है।

तेरा साथ हो तो जी उठते हैं,
तेरे बिना अधूरे से रहते हैं।
तू ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा है,
तेरी चाहत में दिल बेकरार है।

तेरे बिना हर दिन सूना है,
तेरी यादों में ही जीना है।
दिल की बस इतनी सी अरज़ू है,
तेरा दीदार हो, ये मेरी जुस्तजू है।

जी आर कवियूर
 23 07 2024



Sunday, July 21, 2024

हर हर महादेव

हर हर महादेव 


सावन की ऋतु जब आती है,
भोलेनाथ की भक्ति लाती है।
गंगा के पानी से अभिषेक करें,
हर हर महादेव के गूंजे स्वर।

जन्मे जल, तंत्र, बाण से,
शिव का नाम गूंजे हर एक कोने में।
बोलो भोले बाबा की जय,
धूप में बेलपत्र चढ़ाएं हम।

भक्तों के दिल में बसी है जो शांति,
भोलेनाथ की भक्ति से हर दुख है दूर।
सावन की घटा में, शिव का गान गाएं,
भोले बाबा की महिमा से हर मन में प्यार भराएं।

जी आर कवियूर
 22 07 2024

भूल जो की है मैंने

भूल जो की है मैंने

भूल जो की है मैंने, अपने से ज्यादा,
तुझे प्यार किया, हर ख़्वाब में सजाया।

तेरी यादों में डूबा, हर एक पल को जीया,
दिल की हर धड़कन को, तेरा नाम दिया।

तू थी पास मेरे, या दूर कहीं, क्या फ़र्क़,
तेरे बिना ये दिल, हमेशा अकेला रहा।

सपनों की गलियों में, तेरा ही साथ था,
तेरी हंसी की गूंज, हर रात में बसा।

तू न समझा मेरी चाहत, मेरी दीवानगी,
फिर भी दिल ने, तुझे अपना खुदा माना।

भूल जो की है मैंने, अपने से ज्यादा,
तुझे प्यार किया, हर ख़्वाब में सजाया।

जी आर कवियूर
 22 07 2024

गुरु पूर्णिमा का दिन आया,


गुरु पूर्णिमा का दिन आया,


गुरु की महिमा अनंत है,
जीवन में जिसका महत्त्व है।
गुरु पूर्णिमा का दिन आया,
शिष्य ने सिर झुकाया।

ज्ञान का दीप जलाते हैं,
सही मार्ग दिखाते हैं।
संशय सब दूर कर देते,
अज्ञान का तिमिर हर लेते।

गुरु बिना जीवन अधूरा,
उनसे ही सारा जग पूरा।
गुरु पूर्णिमा पर करते वंदन,
गुरु ही हैं सबसे उत्तम।

जी आर कवियूर
 21 07 2024

Saturday, July 20, 2024

अब पुनर्जन्म नहीं

अब पुनर्जन्म नहीं
 मृत्यु ही निर्वाण है 


 जन्म और मृत्यु का कोई चक्र नहीं,
 शांति में, शाश्वत सांस खोजें।
 यात्राओं का अंत, अंतिम शांति,
 हमारे सारे सांसारिक दुःख वहीं समाप्त हो जायेंगे।

  दर्द से परे शांति की जगह,
  जहाँ अब आँसू या दुःख का साम्राज्य नहीं है।
  मृत्यु में हमें शुद्ध प्रकाश मिलता है,
  सौम्य शांति, कोई अंतहीन रात नहीं।

  निर्वाण की पुकार, इतनी कोमल और स्पष्ट,
  मृत्यु में डरने की कोई बात नहीं है।
 मौन धारण करो, कलह छोड़ो,
 क्योंकि मृत्यु ही वास्तविक जीवन है।

 जी आर कवियूर
 20 07 2024

मैं सही मेरा काम सही।

मैं सही मेरा काम सही।

मैं सही, मेरा काम सही,
सत्य की राह पर चलता रहूँ।
नियमों का पालन करता रहूँ,
सदाचार की ज्योत जलाता रहूँ।

झूठ से दूर, सच्चाई के पास,
हर मुश्किल को करूँ मैं पार।
नैतिकता का मान बढ़ाऊँ,
समाज में उजियाला फैलाऊँ।

मेहनत मेरी पहचान बने,
सच्चाई ही मेरी जान बने।
इंसाफ की राह पे चलूँ सदा,
हर दिल में बसा लूँ प्रीत और वफा।

जी आर कवियूर
20 07 2024


Friday, July 19, 2024

इंसाफ की तराजू

इंसाफ की तराजू

इंसाफ की तराजू के दो पलड़े हैं,
एक तरफ सच्चाई, दूसरी तरफ झूठ खड़े हैं।

सच का वजन अगर भारी हो जाए,
झूठ की बुनियाद खुद ही ढह जाए।

आंखों पर पट्टी, न्याय का ये उसूल है,
देख न सके, भेदभाव से हो दूर।

न देखे धर्म, न देखे जाति,
हर इंसान को मिले न्याय की राति।

अन्याय को वो कभी स्वीकार नहीं करती,
सच्चाई की राह पर हमेशा चलती।

न्याय का काम है सबको समान समझना,
किसी के साथ अन्याय न करना।

सच्चाई की तराजू में, झूठ नहीं टिकता,
जो सही है, वही न्याय के तराजू में दिखता।

जी आर कवियूर
19 07 2024




Thursday, July 18, 2024

तेरे बिना मैं अधूरी हूं

तेरे बिना मैं अधूरी हूं


मेरा गम का सहारा
तेरी यादों से जीता हूं
अफसाना से क्या कहूं
मंजिले दूर थी रास्ता कठिन

दिल की बातें छुपी रहीं
खामोशी में दर्द बसी
आंखों में जो ख्वाब थे
वो भी टूटकर बिखर गए

राहें सूनी लगती हैं
तेरी यादें संजीवनी हैं
तेरे बिना अधूरी हूं
फिर भी तुझसे जुड़ी हैं

हर दिन इंतजार में
तेरी राह तकती हूं
तू ही मेरा सहारा है
तेरे बिना मैं अधूरी हूं


जी आर कवियूर
19 07 2024

तेरी याद

तेरी याद की धुन में
रात बिताई
बिन निंदिया के

अश्कों की चादर ओढ़
चुपचाप बैठे
विरह की आग में

जुगनू से जले पल
यादों के दीपक
सपनों की रौशनी

आँखों में बसे थे
तेरे वो चेहरे
खामोश सी बातें

रात यूँ कट गई
तेरी यादों में
दिल तन्हा सा रहा

चाँदनी के तले
तेरी यादों का
ये सफर जारी रहा


जी आर कवियूर
18 07 2024

Wednesday, July 17, 2024

सीता के विचार

सीता के विचार

अशोक के वृक्ष तले, लंका की भूमि पर,
बैठी सीता, व्याकुल मन, व्यथा से भार।
हर पत्ते में अश्रु, हर छाया में त्रास,
रघुकुल की राजकुमारी, कर रही निवास।

हर पल प्रिय की स्मृतियाँ, हर क्षण असह्य पीड़ा,
राम के वियोग में, मन हुआ है क्रीड़ा।
अग्नि परीक्षा की चिंता, अब न करती भय,
धरती की बेटी हूँ, सहेगी सब यही।

वनवास के दिन भी, मन में जोश था,
संग राम के वन में, जीवन मधुमय था।
अब यह विरह की वेदना, चीर रही है मन,
लंका की इस कैद में, हो रहा जीवन दहन।

पृथ्वी माँ की गोद में, जिस तरह मैं सजीव,
वैसे ही राम के बिना, मैं हूँ अधीर।
हर रोज़ सूर्य की किरण, देती एक आशा,
कि आएंगे मेरे राम, हरेंगे यह निराशा।

राक्षसों के बीच में, मन में है विश्वास,
धरती के इस भार को, हर लेंगे रामदास।
चुनौतियों के बावजूद, है धीरज का सहारा,
आएंगे मेरे राम, है यह सच्चा नारा।


जी आर कवियूर
17 07 2024


तेरी बातें को कितना भी छुपाना चाहा,

तेरी बातें को कितना भी छुपाना चाहा,

तेरी बातें को कितना भी छुपाना चाहा,
मगर छुपती है, दिल को दुलारती है।

तेरे बारे में लिखूं तो क्या लिखूं,
नगमे या गजलें लिखूं, तू ही वारिस है।

तेरे ख्वाबों में बसा हूँ हर रात,
तेरी यादों से दिन गुजरती है।

तेरे बिना अधूरी है ये जिन्दगी,
तेरे आने से ही खुशियाँ संवारती है।

तेरे हंसने की आवाज सुनूँ,
दिल को सुकून मिलता है, जन्नत सी लगती है।

तेरे साथ बिताये हर लम्हें को,
याद कर-करके ये आँखें बरसती है।

जी आर कवियूर
17 07 2024

Tuesday, July 16, 2024

अब क्या बताऊं तुझको.....

अब क्या बताऊं तुझको.....

अब क्या बताऊं तुझको  
हम तुम्हें कितना चाहते हैं  
तुम हो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा  
हर पल तुम्हें ही याद करते हैं  

तुम्हारी हंसी में है मेरी खुशी  
तेरे बिना हम अधूरे रहते हैं  
तुम्हारी आँखों में बसते हैं सपने  
उन सपनों में ही हम जीते हैं  

जब तुम पास होते हो, 
दिल को सुकून मिलता है  
तेरी बातों में ही हम खो जाते हैं  
तुम ही हो हमारी मंज़िल, 
हमारा प्यार  

तुमसे ही है ये जीवन साकार  
अब क्या बताऊं तुझको  
हम तुम्हें कितना चाहते हैं

जी आर कवियूर
16 07 2024

देखा तभी याद आई वो.....

देखा तभी याद आई वो.....


अब जब तुझे
 देखा तभी
 याद आई वो
बीते जमाना

वो मीठी बातें,
वो हँसी-ठिठोली,
तेरे संग बिताया,
वो हर एक पल।

वो सपनों की बातें,
वो रातों की मुलाकातें,
वो चाँदनी रातें,
वो तारे गिनने का जुनून।

तू थी मेरी धड़कन,
तू थी मेरी जान,
अब कैसे जीऊँ,
बिन तेरे अंजान।

जी आर कवियूर
16 07 2024

Monday, July 15, 2024

कोई का ना पाए ( गजल )

कोई का ना पाए ( गजल )


यह कोई कहना पाए,
दिल में कितनी जगह,
रखी है तेरे लिए।

तेरी यादों की खुशबू,
रहती है मेरे पास,
सांसों में बसी है तेरे लिए।

तू जो पास न हो,
फिर भी तेरा एहसास,
हर पल जीता हूँ तेरे लिए।

आँखों में तेरी तस्वीर,
दिल में तेरा ख्वाब,
हर धड़कन सजी है तेरे लिए।

हर ग़ज़ल, हर नगमा,
बस यही कहता है,
कि मेरी दुनिया है तेरे लिए।

जी आर कवियूर
15 07 2024

सदा जीते रहेंगे।

सदा जीते रहेंगे।



तेरी यादों का चिराग दिल में जलता रहेगा
हर ख्वाब में तेरा चेहरा दिखता रहेगा
ये जुदाई का दर्द दिल में बसता रहेगा
तेरी मोहब्बत का अहसास हर पल बिखरता रहेगा।

कभी हँसेंगे तेरी यादों में खोकर
कभी रोयेंगे तेरी बातों को सोचकर
तू जो है दूर, पर दिल के पास रहेगा
तेरी यादों में हर लम्हा खास रहेगा।

तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी सी लगती है
तेरी मोहब्बत के बिना, हर खुशी सूनी लगती है
दिल से तेरे आने की दुआ करेंगे
तेरी यादों में ही हम सदा जीते रहेंगे।


जी आर कवियूर
15 07 2024


Saturday, July 13, 2024

जाने कभी ( गजल)

जाने कभी ( गजल)


तू कभी न जाने कभी
मेरे दिल को जाने कभी

तू कभी न जाने अब,
मेरे दिल का ये सबब।

तेरे बिना ये दिल मेरा,
आसूं में बहता रब।

रातें लंबी लगें अब तो,
सपनों में तू आए जब।

तेरी यादें हैं मेरे साथ,
पर तेरा साया पाए तब।

जिंदगी तो चलती रहे,
तेरे बिन जी न पाए अब।

हर पल तुझको सोचूं मैं,
तू भी मुझे याद आए तब।

जी आर कवियूर
14 07 2024


फिर से जी उठती हैं,

फिर से जी उठती हैं,

आँखों में नम सी नमी,
यादों का वही खेल,
दिल में बस गई है,
कुछ अधूरी सी बातें।

रातों को सो न सकूँ,
वो ख्वाब अधूरे से,
जागती आँखों में भी,
बस वही साये हैं।

बीते दिनों का हिसाब,
समझ ना आए कुछ,
फिर भी जीता हूँ मैं,
इन अधूरे अरमानों के संग।

मुस्कानों की कमी,
दिल को फिर से रुलाए,
यादों की ये सूरत,
जीने न दे, मरने न दे।

इन खामोश पलों में,
ढूंढ़ूँ मैं तुझको हर बार,
यादों के इस जाल में,
फँसा हूँ बुरी तरह।

अब भी दिल में छुपी,
तेरी प्यारी सी यादें,
फिर से जी उठती हैं,
प्रेम की वही बातें।

जी आर कवियूर
14 07 2024


क्षणिक क्षति

क्षणिक क्षति

मैंने पूरे दिल से तुम्हें खोजा
एक क्षणभंगुर विचार, एक सांस
छाया नाचती है,
एकांत की खामोशी में
यादों की गूँज

हवा कानों में रहस्य फुसफुसाती है
दूर कुछ ढूँढ़ते हुए
वसंत की पत्तियाँ चली गईं
दिल के दर्द की गहराई में

आँसू गर्मियों की बारिश की तरह गिरे
बाईं ओर
अंधेरे में रह गए
क्षणिक क्षति
मोचन की स्वीकृति

प्रेम की रिहाई
देर से हुआ अहसास
आत्मा की निरंतर प्रार्थना के लिए एकमात्र राहत

जीआर कवियूर
14 07 2024

तन्हा कर दिया। ( गजल)

तन्हा कर दिया। ( गजल)
 
बिना दुख के रात के सन्नाटे में जलता दिया,
तेरे बिना जीवन की राहें कैसे सँभलता दिया।

वो बातें जो तेरे साथ कभी हँसकर की थीं,
आज वो यादें अश्कों में बदलता दिया।

तेरी यादों का कारवाँ यूँ ही चलता रहा,
तेरी याद ने मुझे हर पल दहकता दिया।

खुशियाँ तो मिलती रहीं, पर अधूरी-सी लगीं,
तेरे बिना हर खुशी को वीरान बनता दिया।

तेरे बिना ये शहर, ये गलियाँ सुनसान लगती हैं,
तेरी यादों ने हर लम्हा अकेला करता दिया।

तू नहीं है पास फिर भी तेरी महक आती है,
तेरे बिना हर शाम ने मुझे तन्हा कर दिया।

जी आर कवियूर
13 07 2024
 

दाल भात

दाल भात

दाल भात की महक, घर की याद दिलाए,
माँ के हाथों का जादू, हर कौर में समाए।

साधारण सी थाली, पर स्वाद में निराला,
हर दाने में छुपा, स्नेह का उजाला।

दाल की नरमाई, भात की मिठास,
बचपन की यादें, और वो मीठी बातें खास।

सर्दी की रातें, या गर्मी की दोपहरी,
दाल भात का साथ, हर मौसम में प्यारा।

प्याज और अचार संग, बढ़ जाता है स्वाद,
दाल भात की थाली, दिल का है अवसाद।

घर से दूर रहकर भी, इसको याद करें,
दाल भात की खुशबू, दिल में बसी रहे।

जी आर कवियूर
13 07 2024

तेरी मोहब्बत ने, ( गजल)


क्या नहीं था,
पर तुम्हें पाकर जाना,
कितना अधूरा था।

तेरी मुस्कान में,
जिंदगी का जादू पाया,
मेरे हर ख्वाब को,
तेरी छांव में सुकून आया।

बिना तुम्हारे,
हर लम्हा वीरान था,
तुम्हें पाकर जाना,
क्या खोया और क्या पाया।

अब जब हो साथ मेरे,
सब कुछ है पूरा,
तेरी मोहब्बत ने,
दिल को है ऐसे छुआ।
 
जी आर कवियूर

"ओके" ( कविता )

 "ओके" ( कविता )


ठीक है, सब कहते, ये शब्द बड़ा निराला,
अमेरिका से आया, पर दिलों में घर कर डाला।

"ओके" की ये ताकत, हर जुबां पर छा गई,
कहने में है आसान, पर बातें बड़ी बना गई।

कभी हां का इशारा, कभी ना का जवाब,
हर मौके पर साथ, इसका है यही खिताब।

सुख में कहो "ओके", दुख में कहो "ठीक",
हर परिस्थिति में संग, देता है ये नई सीख।

बातें चाहे कैसी हों, हल्का कर जाता है,
छोटा सा ये शब्द, दिल को छू जाता है।


जी आर कवियूर
13 07 2024

Friday, July 12, 2024

चाह बनी रहे।

चाह बनी रहे।

लिखने की चाह हर वक्त रहती है,
मन में कई बातें जो बसती हैं।
कलम को समय मिले न मिले,
पर मन की बातें सदा बहती हैं।

वक्त कहता है, साथ मैं चलता,
कद्र दिलाने की राह मैं बनता।
जो उसे समझ के जिए,
इतिहास में नाम लिखता है।

बहानों की कमी नहीं होती,
पर सच्चे मन से जो रचते हैं।
लिखने का जज़्बा कभी न खोएं,
ऐसे ही इतिहास में चमकते हैं।

जब लिखूं, तब दिल से लिखूं,
हर वक्त की ये चाह बनी रहे।

जी आर कवियूर
13 07 2024

साथ चलते चलें,

साथ चलते चलें,  

तुम हो प्रखर, मैं हूँ मुखर,  
तुम संगीत, मैं हूँ गीत।

हमारा मार्ग एक ही है,  
पग हमारे अनेक सही हैं।

दृष्टि हमारी लक्ष्य पर है,  
शिखर पर पहुंचना सपना है।

ना कोई उच्छ्वास है यहाँ,  
बस अंतिम श्वास का आस है।

यही जीवन का मधुर गीत,  
संग तुम्हारे, है ये मीत।

हर कदम साथ चलते चलें,  
सपनों को हम साकार करें।

जी आर कवियूर
13 07 2024

Thursday, July 11, 2024

रफ्ता रफ्ता खोजते रहे तेरी यादें (गजल)

रफ्ता रफ्ता खोजते रहे तेरी यादें (गजल)


रफ्ता रफ्ता खोजते रहे तेरी यादें,  
साँसों में बसती हैं तेरी खुशबू की बातें।  

चाँदनी रात में तेरे ख्वाबों का बसेरा,  
दिल की हर धड़कन में तेरा नाम है चिरा।  

तन्हाई में भी तेरी हँसी की आवाज़,  
बेजुबान दिल में बस गई है वो राग।  

बूंद-बूंद बारिश में तेरी यादें भीगती,  
हर आहट में तेरा अहसास सजीव सी लगती।  

राहों में तेरा इंतजार, नजरें बिछाए,  
तेरी चाहत में दिल हर पल सजाए।  

रफ्ता रफ्ता खोजते रहे तेरी यादें,  
जिंदगी के सफर में बस तेरी बातें।

जी आर कवियूर
11 07 2024

Tuesday, July 9, 2024

पहचान

पहचान

सूरत से पहचान बनती, ये बात है सही,
पर सच्चाई है, सीरत में होती असली गवाही।

चेहरे पर नकाब, कई लोग पहनते हैं,
पर दिल की गहराई, असल सूरत कहती है।

रंग-रूप का जादू थोड़े समय में ढलता है,
मगर इंसान का किरदार उम्रभर चमकता है।

मुकाबला सूरत का, असल में दिल हारता है,
क्योंकि असली पहचान, सीरत से निखरता है।

दिखावे की दुनिया में, सच्चाई कहाँ छुपती है,
जो सीरत में सुंदर हो, वही असल सुखी है।

चेहरे के पीछे छुपी, हर दिल की कहानी है,
सीरत में जो उजाला हो, वही असली जिंदगानी है।

जी आर कवियूर
09  07  2024
    

साथ निभाना ही सच्चा धर्म है,

साथ निभाना ही सच्चा धर्म है,

माना स्वार्थ की राह आसान है,
पर सच्ची दोस्ती से बढ़कर कुछ नहीं जान है।

मिलकर चलें तो सफर आसान हो जाता है,
बिना साथ के हर मोड़ वीरान हो जाता है।
सच्चे साथी के बिना सुख भी अधूरा है,
स्वार्थी मन का जीवन तो बहुत ही कच्चा है।

रिश्तों की मिठास में स्वार्थ का स्वाद न घोलें,
साथ की छांव में हर दुख-दर्द भूलें।
अपने स्वार्थ को थामे रखें थोड़ा पीछे,
मगर साथी का हाथ कभी न छोड़ें।

स्वार्थ के लिए जो साथी को छोड़े,
वो जीवन में सच्ची खुशी कब पाए।
साथ निभाना ही सच्चा धर्म है,
इससे बढ़कर कुछ भी नहीं कर्म है।

जी आर कवियूर
09 07 2024

खामोशियों में

खामोशियों में 

खामोशियों में छुपे हैं कई राज़
नज़रअंदाजी हुई है कई बार
मेरे दिल की धड़कन भी कुछ कहती है
शायद तुमने नहीं सुना वो साज

चुप-चुप से लम्हे, खामोशियाँ गहरी
नज़रअंदाज किया तुमने, ये दर्द है शहरी
मेरी रुतबे की पहचान नहीं तुम्हें
मेरे दिल के हालात नहीं तुम्हें

खामोशियों में भी एक कहानी है
नज़रअंदाजी से बढ़ती ये वीरानी है
मेरी रुतबे को समझना मुश्किल है
शायद इसीलिए तुमसे फासला है

दिल के अंदर की बातें खामोश रह जाती है
नज़रअंदाज न करो, इनकी भी एक चाहत है
मेरे रुतबे से रूबरू होना मुश्किल है
पर खामोशियों में भी एक आवाज़ है। 


जी आर कवियूर
09 07 2024

Monday, July 8, 2024

आ रही है मेघा जरा संभल के

आ रही है मेघा जरा संभल के

साथ लाये हैं लश्कर, घने बादल आसमान में,
गरज गरज कर चिल्लाते, जैसे गुस्से में।

कभी लगते हैं मासूम, हंसते हुए चेहरे से,
कभी बन जाते हैं खतरनाक, डरते हुए सबके सपने से।

बरसते हैं बूँद-बूँद जल, प्यासी धरती को देने,
पर जब होते हैं ज्यादा खुश, बाढ़ की आफत लाने।

जी आर कवियूर
08 07 2024

मां भारती को वंदन

मां भारती को वंदन


मां भारती के चरणों में वंदन,
अमर तिरंगे को करें नमन।

ज्ञान का प्रकाश हो चारों ओर,
हर दिल में जागे एक नया जोर।

प्रीत की माला गले में पिरोए,
सपनों को साकार करें, सब संजोए।

संस्कारों की भूमि पर खड़ा हो,
हर मानव सच्चाई से जुड़ा हो।

शांति का संदेश फैलाए जग में,
एकता की भावना हो सबके मन में।

मां भारती का आशीर्वाद पाएं,
हम सब मिलकर देश को आगे बढ़ाएं।

जी आर कवियूर

खुद को संजोता चला हूं।

खुद को संजोता चला हूं।

 
निर्जन पथ पर अकेला चला हूं,
आँखों में सपनों का दीपक जला हूं।
हर कदम पर कांटे मिले मुझे,
फिर भी मुस्कुराता हुआ चला हूं।

आंधियों ने जब-जब बुझाने की कोशिश की,
और भी तेज़ी से जलता दीपक बना हूं।
राह में साथी न मिला कोई,
फिर भी आत्मविश्वास से भरा चला हूं।

कभी धूप ने जलाया, कभी बारिश ने भिगोया,
फिर भी अपने रास्ते पर अडिग खड़ा हूं।
मंजिल चाहे दूर हो कितनी भी,
हर पल, हर कदम पर खुद को संजोता चला हूं।

जी आर कवियूर
09  07  2024

Saturday, July 6, 2024

कभी बुझने न देना।

कभी बुझने न देना।

अमृत पुत्र हूं, मृत्यु का भय नही,
सत्य की राह पर, मेरी विजय सजीव रही।
धोखा और झूठ, कभी अपनाता नही,
जीवन का हर कदम, सच्चाई से सजीव रही।

पतझर कितना भी कठोर हो आये,
मन में वसंत का संचार रहे।
हर मुश्किल का सामना करना है,
विश्वास की ज्योति जलाए रखनी है।

आंधियों से डरना नही, संघर्ष में जीना,
हर परिस्थिति में मुस्कुराना है, हार नही मानना।
जीवन में सदा आगे बढ़ते रहना,
आशा की किरण, कभी बुझने न देना।

जी आर कवियूर
07 07 2024

मैं कवि नहीं,

 मैं कवि नहीं,

माना कि मैं कवि नहीं,
पर दिल की बात कहता हूँ।
कागज़ पर जब लिखता हूँ,
मन का भार सहता हूँ।

सपनों की रंगीनियाँ,
शब्दों में सजाता हूँ।
चाँदनी रात की बातें,
कविता में गुनगुनाता हूँ।

भावनाओं की लहरों में,
खुद को मैं बहता हूँ।
माना कि मैं कवि नहीं,
पर दिल से लिखता हूँ।

जी आर कवियूर
06 07 2024

आज भी तुझे प्यार करते हैं (गजल)

आज भी तुझे प्यार करते हैं (गजल)

आज भी तुझे प्यार करते हैं
दिल के आईने में रोज देखते हैं
बेदाग सा सुंदर सलोना
चांद सा तेरा मुखड़ा सनम

तेरी यादों में हम खो जाते हैं
तेरे ख्वाबों में रात बिताते हैं
तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी
तू ही है दिल की धड़कन जरूरी

तेरे बिन दुनिया वीरान लगती है
तेरी हंसी हर दर्द मिटाती है
तू है मेरा सबसे प्यारा सपना
तू ही मेरा जीवन, तू ही है अपना

जी आर कवियूर
05 07 2024

Wednesday, July 3, 2024

तेरी यादों में हमने ( गजल )

तेरी यादों में हमने ( गजल )


तेरी नजर में इतना क्या जादू
आज भी भुला ना पाए
लाखों कोशिश रही
मगर भुला ना पाए

तेरी मुस्कान की वो मिठास
आज भी मेरे दिल को लुभा गई
हर एक लम्हा तेरी यादों में
हमने बस यूं ही बिता दिए 

तुम्हारे बिना ये जिंदगी
कितनी सूनी-सूनी लगे
तेरी बातें, तेरी यादें
हर पल मेरे साथ जगे

तेरी खुशबू सी हवा
मेरे आसपास महकाए
तेरे बिना भी तेरा एहसास रहे
हर पल मेरे दिल को छू जाए

तेरी तस्वीर को देख देख कर 
हमने रातें गुजार लिए
तेरी यादों में हमने
अपनी दुनिया  बसा लिए 

जी आर कवियूर
04 07 2024

Tuesday, July 2, 2024

गम भरी यह दुनिया में ( गजल )

गम भरी यह दुनिया में ( गजल )

गम भरी यह दुनिया में,
जीयूं कैसे यादों की।
सहारे पल पल बिताता हूं,
बिन तेरे ये दिल रोता है।

यादें ही हैं मेरा सहारा,
बिना तेरे सब कुछ वीराना।
हर रात यादें सताती हैं,
हर दिन तुझे याद करता हूं।

बिना तेरे ये जीवन अधूरा,
दिल भी हो गया बेचारा।
हंसी की तलाश में हूं,
बिन तुझसे जीना मुश्किल है।

बातें तेरी याद आती हैं,
रातें अब खाली-खाली हैं।
हर पल तुझे याद करता हूं,
बिना तुझसे ये दिल तन्हा है।

सपनों में चेहरा देखता हूं,
बिन तेरे हर खुशी अधूरी है।


जी आर कवियूर
03 07 2024



Monday, July 1, 2024

मेरी फरियाद कितना दफा की ( गजल )

मेरी फरियाद कितना दफा की ( गजल )

मेरी फरियाद कितनी दफा की तुझसे,
आज भी करता रहा हूं मानो मन से।
यादों में बसी है मेरी दुनिया,
हर कदम पर तुझे ही चाहा है मैंने।

बिना तेरे ये सफर अधूरा लगता है,
साथ हो तो सब कुछ पूरा लगता है।
हर लम्हा नाम किया मैंने तेरा,
बिना तुझसे जीना मुश्किल पाया मैंने।

खुशबू से महकता है ये दिल,
आवाज़ से सजता है मेरा हर पल।
बिना तेरे ये दिल तन्हा हो जाता है,
हंसी से ही ये मुस्कुराता है।

आँखों में देखा है मैंने अपना जहां,
बिना तुझसे ये जीवन अधूरा सा है।
बातों में है सुकून का एहसास,
बिना तुझसे ये दिल हमेशा उदास।

जी आर कवियूर
01 07 2024