यादें पुरानी तेरी
मीठी सी लगती है
आज तो फिर भी
कहूं क्या काम भी नहीं
बीते लम्हों की वो बाते
सपनों में जो सजती हैं
दिल में उतर जाती हैं
आंखों में जैसे छपती हैं
फिजाओं में भी गूंजे
वो हंसी तेरी प्यारी
कहीं खो गई हैं वो
यादें, आज भी हैं जारी
जी आर कवियूर
24 07 2024
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