"ओके" ( कविता )
ठीक है, सब कहते, ये शब्द बड़ा निराला,
अमेरिका से आया, पर दिलों में घर कर डाला।
"ओके" की ये ताकत, हर जुबां पर छा गई,
कहने में है आसान, पर बातें बड़ी बना गई।
कभी हां का इशारा, कभी ना का जवाब,
हर मौके पर साथ, इसका है यही खिताब।
सुख में कहो "ओके", दुख में कहो "ठीक",
हर परिस्थिति में संग, देता है ये नई सीख।
बातें चाहे कैसी हों, हल्का कर जाता है,
छोटा सा ये शब्द, दिल को छू जाता है।
जी आर कवियूर
13 07 2024
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