Saturday, July 13, 2024

क्षणिक क्षति

क्षणिक क्षति

मैंने पूरे दिल से तुम्हें खोजा
एक क्षणभंगुर विचार, एक सांस
छाया नाचती है,
एकांत की खामोशी में
यादों की गूँज

हवा कानों में रहस्य फुसफुसाती है
दूर कुछ ढूँढ़ते हुए
वसंत की पत्तियाँ चली गईं
दिल के दर्द की गहराई में

आँसू गर्मियों की बारिश की तरह गिरे
बाईं ओर
अंधेरे में रह गए
क्षणिक क्षति
मोचन की स्वीकृति

प्रेम की रिहाई
देर से हुआ अहसास
आत्मा की निरंतर प्रार्थना के लिए एकमात्र राहत

जीआर कवियूर
14 07 2024

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