चाह बनी रहे।
लिखने की चाह हर वक्त रहती है,
मन में कई बातें जो बसती हैं।
कलम को समय मिले न मिले,
पर मन की बातें सदा बहती हैं।
वक्त कहता है, साथ मैं चलता,
कद्र दिलाने की राह मैं बनता।
जो उसे समझ के जिए,
इतिहास में नाम लिखता है।
बहानों की कमी नहीं होती,
पर सच्चे मन से जो रचते हैं।
लिखने का जज़्बा कभी न खोएं,
ऐसे ही इतिहास में चमकते हैं।
जब लिखूं, तब दिल से लिखूं,
हर वक्त की ये चाह बनी रहे।
जी आर कवियूर
13 07 2024
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