Wednesday, July 17, 2024

तेरी बातें को कितना भी छुपाना चाहा,

तेरी बातें को कितना भी छुपाना चाहा,

तेरी बातें को कितना भी छुपाना चाहा,
मगर छुपती है, दिल को दुलारती है।

तेरे बारे में लिखूं तो क्या लिखूं,
नगमे या गजलें लिखूं, तू ही वारिस है।

तेरे ख्वाबों में बसा हूँ हर रात,
तेरी यादों से दिन गुजरती है।

तेरे बिना अधूरी है ये जिन्दगी,
तेरे आने से ही खुशियाँ संवारती है।

तेरे हंसने की आवाज सुनूँ,
दिल को सुकून मिलता है, जन्नत सी लगती है।

तेरे साथ बिताये हर लम्हें को,
याद कर-करके ये आँखें बरसती है।

जी आर कवियूर
17 07 2024

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