Monday, July 22, 2024

ये क्यों होता है, मालूम नहीं।

ये क्यों होता है, मालूम नहीं।

दिल ये उम्मीद करता है,
तुझे बार-बार देखने की।
अगर इत्तेफाक से ना मिल पाते हैं,
ये क्यों होता है, मालूम नहीं।

तेरी यादों में खो जाते हैं,
तेरी बातों में मुस्कुराते हैं।
हर पल तुझे याद करते हैं,
तेरे बिना दिल नहीं लगता है।

तेरा साथ हो तो जी उठते हैं,
तेरे बिना अधूरे से रहते हैं।
तू ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा है,
तेरी चाहत में दिल बेकरार है।

तेरे बिना हर दिन सूना है,
तेरी यादों में ही जीना है।
दिल की बस इतनी सी अरज़ू है,
तेरा दीदार हो, ये मेरी जुस्तजू है।

जी आर कवियूर
 23 07 2024



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