जिंदादिली की आड़ में
खोजता रहा मौत की पैगाम
ए खुदा यह क्या हो गया
सोच को काबू में नाला पाया
रातों को नींद नहीं आती
दिन में सुकून नहीं मिलता
तन्हाई का आलम ऐसा है
दिल को चैन नहीं मिलता
हर कदम पर है अंधेरा
रास्ता नजर नहीं आता
कहाँ जाऊं, किसे पुकारूं
दिल को कुछ समझ नहीं आता
खुशियों का पल कहाँ खो गया
गम का साया क्यों छा गया
ए खुदा, मुझे रास्ता दिखा
जीवन को फिर से रौशन कर
जी आर कवियूर
23 07 2024
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