Friday, July 19, 2024

इंसाफ की तराजू

इंसाफ की तराजू

इंसाफ की तराजू के दो पलड़े हैं,
एक तरफ सच्चाई, दूसरी तरफ झूठ खड़े हैं।

सच का वजन अगर भारी हो जाए,
झूठ की बुनियाद खुद ही ढह जाए।

आंखों पर पट्टी, न्याय का ये उसूल है,
देख न सके, भेदभाव से हो दूर।

न देखे धर्म, न देखे जाति,
हर इंसान को मिले न्याय की राति।

अन्याय को वो कभी स्वीकार नहीं करती,
सच्चाई की राह पर हमेशा चलती।

न्याय का काम है सबको समान समझना,
किसी के साथ अन्याय न करना।

सच्चाई की तराजू में, झूठ नहीं टिकता,
जो सही है, वही न्याय के तराजू में दिखता।

जी आर कवियूर
19 07 2024




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