Monday, July 8, 2024

आ रही है मेघा जरा संभल के

आ रही है मेघा जरा संभल के

साथ लाये हैं लश्कर, घने बादल आसमान में,
गरज गरज कर चिल्लाते, जैसे गुस्से में।

कभी लगते हैं मासूम, हंसते हुए चेहरे से,
कभी बन जाते हैं खतरनाक, डरते हुए सबके सपने से।

बरसते हैं बूँद-बूँद जल, प्यासी धरती को देने,
पर जब होते हैं ज्यादा खुश, बाढ़ की आफत लाने।

जी आर कवियूर
08 07 2024

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