तेरी याद की धुन में
रात बिताई
बिन निंदिया के
अश्कों की चादर ओढ़
चुपचाप बैठे
विरह की आग में
जुगनू से जले पल
यादों के दीपक
सपनों की रौशनी
आँखों में बसे थे
तेरे वो चेहरे
खामोश सी बातें
रात यूँ कट गई
तेरी यादों में
दिल तन्हा सा रहा
चाँदनी के तले
तेरी यादों का
ये सफर जारी रहा
जी आर कवियूर
18 07 2024
No comments:
Post a Comment