Saturday, July 13, 2024

दाल भात

दाल भात

दाल भात की महक, घर की याद दिलाए,
माँ के हाथों का जादू, हर कौर में समाए।

साधारण सी थाली, पर स्वाद में निराला,
हर दाने में छुपा, स्नेह का उजाला।

दाल की नरमाई, भात की मिठास,
बचपन की यादें, और वो मीठी बातें खास।

सर्दी की रातें, या गर्मी की दोपहरी,
दाल भात का साथ, हर मौसम में प्यारा।

प्याज और अचार संग, बढ़ जाता है स्वाद,
दाल भात की थाली, दिल का है अवसाद।

घर से दूर रहकर भी, इसको याद करें,
दाल भात की खुशबू, दिल में बसी रहे।

जी आर कवियूर
13 07 2024

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