आज मोरे सांवरिया
आई है प्रेम स्वरूप लेकर
मन भाई है क्या करूं क्या कहूं
राह न सूझे, मन भटकाए
तेरी मूरत नयन बसाए
प्रीत के धागे, मन को बांधे
दिल के तारों को झनकाए
हर पग तेरा, मोहे रिझाए
तेरे बिना जग सूना जाए
मन में बस तू, प्राण बसाए
तेरे बिना कुछ भी न भाए
आओ अब तो, पास हमारे
प्रीत की बातें, कहो दोबारा
जी आर कवियूर
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