तुम हो बिल्कुल वैसी ही,
जैसे ख़्वाबों में आई थी,
भादों की बरसात सी आँखें,
सावन की याद दिलाती थीं।
तुम्हारे आने से मन में,
फिर से बहार आई है,
सपनों की गलियों में जैसे,
फूलों की कतार छाई है।
तेरी मुस्कान से रोशन,
हर एक कोना दिल का,
यादों की बौछारें लेकर,
फिर से आया सावन
जी आर कवियूर
23 07 2024
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