Friday, January 31, 2025

मुझमें इश्क़ हो गई ( ग़ज़ल)

मुझमें इश्क़ हो गई (ग़ज़ल)

नज़रों से चाहा तुझको, इश्क़ हो गई,
मौसम का तराना मुझमें, इश्क़ हो गई।

शबनम सी ख्वाबों में घुलती रही रात,
सांसों की रवानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

तेरी बात चली तो महक उठे गुल,
हर धड़कन पुरानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

तन्हा था कभी, अब तेरा नशा है,
तेरी बेकरारी मुझमें, इश्क़ हो गई।

लब खामोश थे, पर दिल ने सुना,
तेरी हर निशानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

चाहा था तुझे बस एक दुआ की तरह,
अब बंदगी सारी मुझमें, इश्क़ हो गई।

जी आर का दिल अब बस तेरा हुआ,
तेरी ही कहानी मुझमें, इश्क़ हो गई।

जी आर कवियूर
01 -02 -2025

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