संपूर्ण संसार के लिए।
धनु मास की सुबह की ठंडी हवा में
हिमालय की पुत्री, मनोहरि,
किसी को ध्यान में खोयी हुई तुम,
पशुपति या नीलकंठ की पूजा करती हो।
हिम की पहाड़ियों पर जैसे रंगीन दृश्य,
कैलाश पर्वत, सुखमय महल की तरह,
चाँद अपने बालों में चमकता हुआ,
गंगा शुद्ध जल के साथ शिव की जटा से बहती है।
आकाश गंगा जैसे प्रेम की बारिश,
धरती को आशीर्वाद देने आई।
शिव और पार्वती के मिलने पर,
प्रेम काव्य रचकर, संपूर्ण संसार के लिए।
जी आर कवियूर
11 -01-2025
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