Sunday, January 5, 2025

आत्मा की वेदना (ग़ज़ल)

आत्मा की वेदना (ग़ज़ल)

आत्मा की किताब के पन्नों पे
अभी तक बिन जाने मैंने दर्द लिखा है,
जीवन की राह पर हर कदम है कठिन,
जैसे दीप की लौ में हलचल सी हो जाए।

जब खोले थे आंखें, देखा कुछ खो गया,
प्रेम की मुस्कान पल भर में गायब हो गई।
चुप्प की छाया,
आंखों में समेटे हुए दर्द का साया।

इस जीवन की हर बात खत्म हो चुकी है,
पर एक और जन्म में फिर मिलेंगे हम,
क्या समय हमें साथ लाएगा,
इन अनमोल लम्हों का इंतजार करेंगे हम।

जी आर चिंतित है, क्या फिर मिलेंगे हम?
हमारा प्यार, जन्मों तक रहेगा संग।

जी आर कवियूर
05-01-2025

No comments:

Post a Comment