Thursday, January 30, 2025

उठी हुई यादें (ग़ज़ल )

उठी हुई यादें (ग़ज़ल )

मोह से परे जागी हैं,
तेरी यादें मुझमें जागी हैं।

वक्त गुजर जाए, तुझे भूल नहीं सकता,
तेरी यादें हर वक्त जागी हैं।

फूल रंग बदल सकते हैं, मुरझा सकते हैं,
मगर तेरी यादें हर रोज जागी हैं।

रास्ते बदल जाएं, समय घूम जाए,
लेकिन तेरा असर दिल में जागी हैं।

चाँद सितारे ढल जाएं, या आँसू बह जाएं,
तेरी यादें सदा जागी हैं।

प्रेम सच्चा वही रहेगा,
तेरी यादों में मैं जागी हूँ।

जी आर ने कहा,
तू हमेशा मेरे दिल में जागी है।

जी आर कवियूर
31 -01-2025

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