Monday, January 27, 2025

चाँदनी और तू

चाँदनी और तू

चाँदनी भरी रात की ठंडक में  
मैंने तुझे बेहद चाहा
एक पल भी तुझे छोड़कर  
अब मैं रह नहीं सकता, ओ मेरी जान...  

तेरे नरम स्पर्श से  
मेरा बदन रोमांचित हो गया  
तूने मुझमें आग भर दी  
और मुझे पूरी तरह जला डाला...  

जब तेरी छाया मुझे छूती है  
मैं तुझमें खो जाता हूँ  
प्यार की लौ में  
तू और मैं एक हो जाते हैं...  

चाँदनी भरी रात की ठंडक में  
मैंने तुझे बेहद चाहा 
एक पल भी तुझे छोड़कर  
अब मैं रह नहीं सकता, ओ मेरी जान...  

जी आर कवियूर
28 -01-2025

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