चाँदनी भरी रात की ठंडक में
मैंने तुझे बेहद चाहा
एक पल भी तुझे छोड़कर
अब मैं रह नहीं सकता, ओ मेरी जान...
तेरे नरम स्पर्श से
मेरा बदन रोमांचित हो गया
तूने मुझमें आग भर दी
और मुझे पूरी तरह जला डाला...
जब तेरी छाया मुझे छूती है
मैं तुझमें खो जाता हूँ
प्यार की लौ में
तू और मैं एक हो जाते हैं...
चाँदनी भरी रात की ठंडक में
मैंने तुझे बेहद चाहा
एक पल भी तुझे छोड़कर
अब मैं रह नहीं सकता, ओ मेरी जान...
जी आर कवियूर
28 -01-2025
No comments:
Post a Comment