ग़ज़ल: "इश्क़ की राहों में"
रूबरू तुझे देखने के लिए,
दिल मचल उठा तेरे इश्क के लिए।
चांदनी भी सजी तेरी राहों में,
दिल तरस गया उस दीद के लिए।
तेरे लफ्ज़ों में जादू बसा हुआ,
हर सदा उठी उस जिक्र के लिए।
ख्वाब सारे तेरे नाम हो गए,
दुआ मांगी हर एक शब के लिए।
तेरे चेहरे की रौशनी में छुपा,
चैन मिलता है हर सहर के लिए।
तेरी बाहों में वक्त ठहर जाए,
खुदा से मांगा इसी जश्न के लिए।
दिल की धड़कन भी थमने लगी,
जब कदम बढ़ा तेरे दिल के लिए।
‘जी आर’ को बेचैनी बढ़ने लगी,
तुझे मिलने के हर पल के लिए।
जी आर कवियूर
25 -01-2025
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