Thursday, January 9, 2025

तेरी वक्त की धारा

तेरी वक्त की धारा

महकती है, बहकती है,
ख़ामोशियों में उभरती है।

तू हर साँस में शामिल है,
तेरी यादें भी चमकती हैं।

चमकते चाँद से बातें करूं,
तेरे इश्क़ की जो राहतें हैं।

हर एक लम्हा तेरा अपना है,
हर अदा में हसरतें हैं।

तू जो पास नहीं फिर भी,
तेरा अहसास बरसता है।

मेरी रूह में, मेरी बातों में,
तेरा नाम बस बसता है।

जी आर कवियूर
10 -01-2025

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