पुरानी यादों की खुशबू फैलती है,
किताबों के पन्नों से निकलती है।
आंखों में सुलगती हुई,
नवीन जागृति ये दिल में बसी है।
नीर के तारों में छुपे ख्वाब,
सपने गिरते हैं, और फूल खिलते हैं।
भरपूर चांदनी की छांव में,
तेरी उंगलियों को ढूंढते हुए।
क्या हवा का प्यार बह रहा है,
मन की धुन अब साथ चलती है।
पुरानी यादों की खुशबू फैलती है,
किताबों के पन्नों से निकलती है।
जी आर का ये सफर, हर इक याद में बसा,
ग़ज़ल की राह में बस, हर लम्हा लिखा है खुदा।
जी आर कवियूर
25 -01-2025
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