Tuesday, January 7, 2025

"दिल की हालात" (ग़ज़ल)

"दिल की हालात" (ग़ज़ल)

कैसे कहूँ मैं दिल की हालात को,
तन्हाई में खोया हर बात को।

बेबस हूँ इन तन्हा दिनों-रात में,
ढूँढूँ उसे हर एक ख्यालात में।

चुपचाप देखे हैं चाँद और तारे,
जिनसे मिलें हैं हम तेरे इशारे।

दिल में बसी उसकी तस्वीर है,
दर्द से सजी एक तहरीर है।

यादों के साए हैं साथ मेरे,
गुज़रे दिनों की मिठास मेरे।

शायर 'जी आर' की बातें बस,
घूमें हर पल उसकी यादों में।

जी आर कवियूर
07-01-2025

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