Tuesday, January 7, 2025

संगम की यादें

संगम की यादें

मोरे मन मुकु पर तुम्हारे
यादें आईं सरगम के साथ,
जैसे कोयल की वाणी,
सुर में खो जाने की चाहत।

तुम हो जैसे मधुर राग,
दिल में बसी हो तुम्हारी छांव,
चाँदनी रातों में तुम्हारी यादें,
आतीं हैं, जैसे कोई बेमोल ख्वाब।

सांसों में बसी तुम, हर इक पल,
तेरी हँसी में छुपी ख़ुशबू जैसे,
प्यार की एक मीठी धारा,
जो बहती जाती है, दिल से दिल तक।

जी आर कवियूर
07-01-2025



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